मेहलका इकबाल अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
मध्य प्रदेश की पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस दीदी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से भेंट कर किसानों की समस्याओं से अवगत कराकर उनके निराकरण का अनुरोध किया। श्रीमती चिटनिस ने मौसम आधारित फसल बीमा योजना अंतर्गत वर्ष 2019-20 में बीमित कृषकों को फसल बीमा क्लेम राशि एवं प्रधानमंत्री फसल बीमा को अधिक प्रभावी व्यापक व व्यवहारिक क्रियान्वयन के लिए विचारणीय सुझाव हेतु पत्र प्रेषित किया।
कृषकों को मिले वर्ष 2019-20 में बीमे का क्लेम
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बताया कि बुरहानपुर जिले में वर्ष 2019-20 में यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा मौसम आधारित फसल बीमा योजनांतर्गत 18686 कृषकों द्वारा बीमा कराया गया था। वर्ष 2019-20 के बीमा क्लेम के अवधि समाप्त हुए दो माह हो व्यतीत चुके हैं परंतु कृषकों को आज दिनांक तक बीमा क्लेम की राशि नहीं मिली है। श्रीमती चिटनिस ने मुख्यमंत्री जी से अनुरोध किया कि जिन कृषकों द्वारा वर्ष 2019-20 में बीमा कराया गया हैं, उन्हें उनके क्लेम की राशि का भुगतान करने हेतु यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी को आदेशित करने का कष्ट करें जिससे कृषकों को बीमा क्लेम की राशि मिल सकें।
प्रधानमंत्री फसल बीमा को अधिक प्रभावी व्यापक व व्यवहारिक क्रियान्वयन के लिए सौंपा पत्र
भेंट के दौरान मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान को श्रीमती अर्चना चिटनिस ने प्रधानमंत्री फसल बीमा को अधिक प्रभावी व्यापक व व्यवहारिक क्रियान्वयन के लिए विचारणीय सुझाव हेतु पत्र सौंपते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फसल सुरक्षा की एक प्रभावी योजना है, जिसमें किसान के लिए आपदा की स्थिति में जोखिम सहन करने की क्षमता में वृद्धि होती है। योजना मात्र ना होकर किसानों में आत्मविश्वास का संचार करने व सकारात्मक प्रभाव डालने का प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की एक वृहद कल्पना का साकार रूप है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2020-21 में 25 लाख किसानों के खाते में 8649 करोड़ रुपए जमा कराए गए। श्रीमती चिटनिस ने सौंपे पत्र में अनेक सुझाव दिए, जिनमें प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत फसल नुकसान का आंकलन वर्तमान में मौसम वैघशाला,वैडर स्टेशन/मौसम केन्द्रद्ध कुछ स्थानों पर स्थापित कर मौसम जलावायु के आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। इसमें किसानों के नुकसान का वास्तविक आंकलन नहीं हो पाता है। जिसके कारण कभी तो अधिक नुकसानी पर कम बीमा राशि प्राप्त होती है और कभी अधिक नुकसान पर कम राशि किसान प्राप्त करता है। ऐसी स्थिति में आपदा के समय फसल नुकसान के आंकलन की विधि वैज्ञानिक और सटीक हो, जिससे कि वास्तविक नुकसान होने पर किसान लाभान्वित हो तथा बीमा की दावा राशि के वितरण में विसंगतियों को दूर किया जा सके। जैसे कि मेरा सुझाव है कि जीयो इनफोरमेटिक एण्ड रिमोट सेंसिंग का भी उपयोग करने पर विचार किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा का दायरा निरन्तर बढ़ रहा है। फसलों के बीमा हेतु एक स्वशासी उत्तरदायी संस्थान का गठन किया जाना चाहिए। यह संस्था अन्य स्वशासी संस्थाएं जैसे बीज निगम, मंडी बोर्ड, बीज प्रमाणिकरण संस्था एवं राज्य जैव प्रमाणिकरण संस्था की भांति विभाग के (अंडेर दा अम्ब्रेला) अंतर्गत कार्य करें। यह कृषि बीमा स्वशासी संस्था आईआरडीए के नियमों के तहत संचालित हो। समय अनुसार होने वाले आवश्यक परिवर्तनों के लिए उत्तरदायी हो तथा एक निश्चित प्रक्रिया कर बीमा कंपनियों को क्षेत्र आवंटित करें।
मध्यप्रदेश में शुद्ध काश्त योग्य रकबा 151.91 लाख हेक्टेयर है, जो कुल 11 एग्रो क्लिमेटिक जोन में विभाजित है। बीमा कंपनियों के लिए टेंडर का आमंत्रण जिलेवार न करते हुए जोनवार अथवा दो जोन मिलाकर समस्त अधिसूचित कृषि एवं उद्यानिकी फसलों का बीमा करने के लिए कम से कम दो या तीन वर्ष के लिए कंपनी अधीकृत की जाए। इससे बीमा कंपनी व कृषकों के बीच समन्वय एवं विश्वास बनेगा। साथ ही साथ बीमा कंपनी के लिए भी वायबिलीटी सुनिश्चित होगी। परिणामस्वरूप अधिक से अधिक किसान स्वयं बीमा कराने के लिए जागरूक होंगे। यह अत्यंत गंभीर परिस्थिति है कि कई जिलों में निविदा जारी करने के उपरांत भी एजेंसी सुनिश्चित नहीं हो सकी है। अतः आपसे आग्रह पूर्वक निवेदन है कि इस विषय पर जवाबदेही सुनिश्चित कर समय-सीमा में आवश्यक पॉलिसी चैंज कर निर्णय क्रियान्वयन करने के लिए निर्देशित करने का कष्ट करें। आपके नेतृत्व में प्रधानमंत्री फसल बीमा अंतर्गत मौसम आधारित फसल बीमें की दृष्टि से मध्यप्रदेश देश के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकेंगा।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.