संदीप शुक्ला, ब्यूरो चीफ, ग्वालियर (मप्र), NIT:
स्वतंत्रता के पश्चात के वर्षां में भारत सरकार ने महिलाओं के लिए अनेक कानून, नीतियां एवं कार्यक्रम बनायें लेकिन इन सबका अनुभव यह है कि जब तक भारतीय समाज का स्वरूप मान्यताओं और परम्पराओं के अनुकूल परिवर्तन नहीं होते और महिलायं स्वयं जागरूक एवं सक्रिय नहीं होतीं कानूनी नीतियां एवं कार्यक्रम अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं दे सकते। इसके समाज सेवी संगठन एवं संस्थायें इसके समाज सेवी संगठन एवं संस्थायें महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकती हैं।
स्वः सहायता समूह की अवधारणा के अध्ययन से एक विशेष तथ्य सामने आया है कि महिलाओं के समूह अथवा ऐसे समूह जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक है अधिक सफल निरंतर कार्यशील रहे है। दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि सदस्य को समूह में सम्मिलित होने की स्वेच्छा हो किसी व्यक्ति को जबरदस्ती या किसी विशेष लाभ जैसे ऋण आदि का प्रलोभन देकर समूह में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। समूह की अवधारणा पारस्परिक सहयोग व एकता पर भी बल देती है। स्वः सहायता समूह शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में स्वः सहायता समूह की महत्वपूर्ण भूमिका समाजसेवा के क्षेत्र स्वः सहायता समूह की महिलाओं ने अलग पहचान बनाई हैं। महिला स्वः सहायता समूह आर्थिक रूप से पिछडे हुये परिवारों को छोटे-छोटे लोन प्रदान कर उनके जीवन की मुश्किलों को न केवल दूर कर रहे बल्कि ऐसे परिवारों को आर्थिक संबल भी प्रदान कर रहे हैं यदि स्वः सहायता समूह के विकास में आने वाली बाणाओं, चुनोतीयें को दूर कर दिया जाये। स्वः सहायता समूह महिलाओं का घर-घर होता हैं यह बात श्रीप्रकाश सिंह निमराजे, अध्यक्ष गोपाल किरन समाजसेवी संस्था ने सिंधिया नगर में आयोजित स्वः सहायता समूह बैठक में कही। जहाॅआरा ने स्वः सहायता समूह के अनुभव व उनके द्वारा किये जा रहे स्वः सहायता समूह पर शोध की जानकारी रखते एवं स्वः सहायता समूह पर बात की। एक समूह का गठन किया गया। जिसकी अध्यक्ष सपना जाटव को चुना। श्रीमती प्रीती सोनी, श्रीमती सपना जाटव, श्रीमती श्रीमती पूनम जाटव, श्रीमती लक्ष्मी सोलंकी, श्रीमती पूनम जाटव पत्नी श्री सुशील, श्रीमती मीरा जाटव, श्रीमती राजकुमारी जाटव, श्रीमती सुनीता बडवारे, श्रीमती लाडो रजक, श्रीमती शीला जाटव, श्रीमती सुमन कुशवाह,काजल सिनोलिया, श्रीमती कमला जाटव, श्रीमती लक्ष्मी जाटव, श्रीमती संतोषी जाटव, आदि ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
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