पर्यटक मंत्री ऊषा ठाकुर का पुतला दहन कर मुकदमा दर्ज करने के लिए थाना प्रभारी को सौंपा गया ज्ञापन | New India Times

रहीम शेरानी, अलीराजपुर (मप्र), NIT:

पर्यटक मंत्री ऊषा ठाकुर का पुतला दहन कर मुकदमा दर्ज करने के लिए थाना प्रभारी को सौंपा गया ज्ञापन | New India Times

सोण्डवा वन महोत्सव कार्यक्रम महू में वन भूमि के अधिकार पत्र वितरण के समय पर्यटक मंत्री ऊषा ठाकुर ने आदिवासियों के हितैषी संगठन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) को देशद्रोही कहकर सामाजिक समरसता बिगाड़ने का प्रयास किया और पूरे आदिवासी समाज को अपमानित करने से सोण्डवा में जयस के जिला अध्यक्ष विक्रमसिंह चौहान के नेतृत्व में मंत्री ऊषा ठाकुर के पुतले का दहन कर पुलिस थाना प्रभारी एस एस बघेल को ज्ञापन सौंपा कर मंत्री के खिलाप एट्रोसिटी एक्ट के तहत मुकदमा कायम करने की मांग की गई है।

जयस जिला अध्यक्ष विक्रमसिंह चौहान ने कहा कि आदिवासियों-गरीबों के अन्य संवैधानिक अधिकारों के लिए कार्य करने वाले जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन को मध्यप्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर द्वारा देशद्रोही संगठन बता कर जयस संगठन को नष्ट करने का आह्वान किया। जयस संगठन के आदिवासी कार्यकर्ताओं के विरुद्ध लोगों को भड़का कर अशांति फैलाकर राष्ट्र की एकता-अखंडता को नष्ट करने, देश के आखिरी पंक्ति में खड़े आदिवासियों के भावनाओं को आहत करने पर ऊषा ठाकुर के खिलाफ अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 एवं आईपीसी की धारा 124A, 153A, 153B, 504, 505 (1)(B) के तहत एफआईआर दर्ज कर अविलंब गिरफ्तार करने एवं मध्य प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी संस्कृति-सभ्यता विरोधी संगठनों को घुसने से प्रतिबंधित करने की मांग की गई।

पर्यटक मंत्री ऊषा ठाकुर का पुतला दहन कर मुकदमा दर्ज करने के लिए थाना प्रभारी को सौंपा गया ज्ञापन | New India Times

दिनांक 21/09/2020 को डोंगरगांव स्थित आंबेडकर विश्वविद्यालय में मध्यप्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर ने पूरे होश में जय आदिवासी युवा शक्ति_ (जयस) संगठन को देशद्रोही संगठन बताकर जयस संगठन को नष्ट करने, जयस कार्यकर्ताओं के खिलाफ लोगों को भड़काने, सामाजिक अशांति फैलाने एवं संविधान का उल्लंघन कर राष्ट्र की एकता-अखंडता को नष्ट करने एवं देश के आखिरी पंक्ति में खड़े आदिवासियों की भावनाओं को आहत करने का प्रयास किया गया है। जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन संविधान की पांचवीं अनुसूची, वनाधिकार कानून, पेसा कानून समेत आदिवासियों-गरीबों के अन्य संवैधानिक अधिकारों के लिए कार्य करता है। मंत्री के उक्त बयान का संगठन ने घोर विरोध किया है।

जयस के दिनेश चौहान ने कहा कि ऊषा ठाकुर का उक्त बयान सोशल मीडिया में खूब वायरल हो चुका है और भोपाल, इंदौर समेत मध्यप्रदेश के अनेक समाचार पत्रों में दिनांक 20/09/2020 के अंक में प्रकाशित भी हुआ है।

ऊषा ठाकुर के उक्त बयान से देश का समस्त आदिवासी समुदाय आहत है एवं आदिवासियों के प्रति किसी हिंसक घटना, सामाजिक अशांति, वैमनस्व भाव, देश की एकता-अखंडता को खतरा पैदा हो गया है।

ऊषा ठाकुर द्वारा आदिवासियों के प्रति, जयस संगठन के आदिवासी कार्यकर्ताओं के विरुद्ध दुर्भावना, घृणा, शत्रुता, विद्रोह, अफवाह फैलाकर, दुष्प्रचार करने देश के समस्त आदिवासियों के सुरक्षा एवं शांति को खतरा पैदा हो गया है। ऊषा ठाकुर का उक्त बयान संवैधानिक प्रावधानों एवं मूल्यों के खिलाफ है, भारतीय लोकतंत्र का मजाक है।

गोविंद डावर ने कहा कि ऊषा ठाकुर के उक्त असंवैधानिक बयान से देश के संपूर्ण क्षेत्र के आदिवासी लोगों में आक्रोश और रोष व्याप्त है साथ ही संवेदनशील आदिम, पिछड़े समुदायों में भय और क्षोभ व्याप्त है।

विजय कनेश ने कहा कि मध्य प्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर के बयान के हिसाब से सनातन धर्म को नहीं मानने वाले आदिवासी देशद्रोही कैसे हो सकते हैं? भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 (3)(क) में आदिवासियों की रूढ़ी प्रथा को कानून का बल प्राप्त है और आदिम आदिवासी कबिलाई सांस्कृतिक किसान समुदाय उसी रूढ़ी प्रथा के तहत संस्कारित एवं स्वशासित होते आए हैं। अनुच्छेद -25 (11) के तहत आदिवासी हिन्दू धर्म में शामिल नहीं किए हैं और हिन्दू मैरिज एक्ट 1955, हिन्दू कोड बिल 1956 में आदिवासियों के किसी भी सदस्य पर प्रभावी नहीं होने का जिक्र किया गया है और अनुच्छेद 366 (25) के तहत हिन्दू कोड़ बील आदिवासियों के ऊपर लागू नहीं होता है।
अनुच्छेद-29 में हमें यह प्रावधान है कि हमारी विशिष्ट बोली-भाषा, संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है, वहीं अनुच्छेद-19 हमें मौलिक अधिकार प्रदान करता है कि हम संगठन बना सकते हैं और उसका प्रचार प्रसार कर सकते हैं धरना आंदोलन, निरायुध सम्मेलन भी कर सकते, तो फिर हम आदिवासी हमारे पुरखों द्वारा स्थापित सांस्कृतिक व्यवस्था और परंपरा रुढ़ी प्रथा को बचाने के लिए हमारे ही समुदाय में काम कर रहे हैं तो फिर आप देशद्रोही कैसे कह रही हो?? आदिवासी हिन्दू धर्म में शामिल नहीं होने से संबंधित कई सारे निर्णय इंडिया की सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं।
अगर आदिवासियों की सनातन (ब्राम्हण हिंदू) धर्म की ओर होने वाली दूरी से इतनी तकलीफ़ हो रही है तो जाओ सर्वोच्च न्यायालय इंडिया में और साबित करों कि भारत के आदिवासी हिन्दू धर्म में कैसे शामिल हैं?? बेबुनियाद बयानबाजी कर आदिवासी समुदाय को बांटने की राजनीति न करें। Judicially, Constitutionally Evidence के साथ में साबित कर दिखाओ, नहीं तो समझदारी से माफी मागें। ऐसे आदिवासी विरोधी बयान का पुरजोर विरोध करते हैं।

संदीप वास्कले ने कहा कि देश में संविधानिक एवं लोकतांत्रिक प्रावधानों को बनाए रखने तथा शांति-व्यवस्था कायम रखने, देश की एकता-अखंडता को बनाए रखने के लिए आदिवासी बहुल अनुसूचित क्षेत्रों गैर-आदिवासी संगठनों को प्रतिबंधित किया जाए एवं मध्यप्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर के खिलाफ अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 एवं आईपीसी की धारा 124A, 153A, 153B, 504, 505 (1)(B) के तहत एफआईआर दर्ज कर अविलंब गिरफ्तार करने की मांग की जाती है।

इस अवसर पर जयस के प्रेमसिंह लोहारिया, जुवान किराड़, उमेश खरत ,रामसिंह तोमर, सुनील चौधरी, दुरसिंह सोलंकी गोविंद अजनार, अजादसिंह चौहान,इन्दरसिंह सस्तिया, दयाराम जमरा सहित आदिवासी समाज के सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।


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