इम्तियाज़ चिश्ती, ब्यूरो चीफ, दमोह (मप्र), NIT:
ग्रीन जोन में चल रहे दमोह को दुकानें खोलने की बड़ी राहत दी गई है। जिला प्रशासन ने दुकानों को सुबह 9 बजे से 3 बजे तक खोलने की अनुमति दी है। दमोह में अब वन 2 वन की पद्धति अपनाते हुए मार्केट को खोला जा रहा है वो भी एक दिन छोड़ नंबर के हिसाब से दुकानें खुलेगीं। गौर तलब है कि जिला प्रशासन से व्यापरियों और राजनैतिक दल के लोगों ने मुलाकात की थी और दुकानें खोलने की बात की थी, जिसके बाद प्रशासन ने ये फैसला लिया और दुकानें खुलने लगीं लेकिन इसके परिणाम क्या होंगे इसको लेकर दमोह के लोगों की अलग अलग राय सामने आई।
वहीं व्यापरियो ने दो दिन पहले ही बैठक कर यह फैसला लिया था कि दुकान खोली जायें तब कुछ भाजाई नेताओं के नेतृत्व में जिला कलेक्टर से मिलकर सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुए मार्केट खोलने की बात सामने आई थी आखिरकार व्यपारी अपनी बात मनमाने में कामयाब रहे। व्यापरियों ने जब ये बैठक एक निजी दुकान में ली तब खुद भी सामाजिक दूरी भूल गये और राजनैतिक दलों के साथ बिना मास्क के व्यपारी और राजनैतिक दल के जिम्मेदार लोग चर्चा करते देखे गये। तब ये किसी भी प्रशासनिक अधिकारियों को नज़र नहीं आया कि यहाँ सामाजिक दूरी का उल्लंघन हो रहा है इतना ही नहीं दमोह पुलिस प्रशासन का मुखबिर सूचना तंत्र इतना कमजोर है कि उन्हें भी व्यापरियो ने अंधेरे में रखकर इतनी बड़ी बैठक आयोजित कर ली जिसमें सामाजिक दूरी का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखा गया और पुलिस प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी कि एक ही स्थान पर एक ही दुकान में क्षमता से दुगनी संख्या में वयापारी बैठक में मीटिंग करते रहे हैं। ना तो जिला प्रशासन और ना ही पुलिस की सक्रियता नज़र आई हाँ इतना जरूर है कि अगर किसी मंदिर या मस्जिद में 5 से अधिक लोग एक साथ पूजा अर्चना या इबादत करते नज़र आये तो पुलिस का सूचना तंत्र की चारों पांचों इंद्रियां तुरंत कार्य करने लगती हैं लेकिन दमोह नगर के व्यापरियों के संगठनों की इतनी बड़ी संख्या में एक छोटे से स्थान पर लंबी बैठक चलती रही किसी को कानोंकान ख़बर नहीं लगी इसीलिए पुलिसिया सूचना तंत्र पर सवालिया निशान लगना लाज़मी है।
जब इस संबंध में हमने दमोह व्यपारी संघ के अध्यक्ष संजय यादव से बात की तो मार्केट खुलवाने का श्रेय भी लेने से नहीं चूके और कहा कि प्रशासन को हमने मना लिया। वहीं जब मार्केट खुला तो प्रशासन के सारे इंतजामों की कलई खुल गई, दुकानों पर भीड़ जमा होने लगी और दुकानदार भी बेबस नज़र आये और फिर जिसका डर था वही होता नजर आया, सारी भीड़ बाज़ार में निकल आई और समाजिक दूरी का पालन भूल गए। इतना ही नहीं मार्केट खुलने के दौरान जो व्यापरियों का संघ मार्केट में घूमकर दुकानदारों को सामाजिक दूरी का पालन कराने की हिदायत दे रहा था उसी संगठन के लोगों ने ही सबसे पहले बैठक में सामाजिक दूरी का उल्लंघन किया अब मार्केट में झुण्ड बनाकर दुकानदारों की सहानुभूति बटोरते फिर से नज़र आये। जब हमने दोबारा सवाल किया तो बगलें झाँकते दिखे और कहा हम वही पालन कराने निकले हैं। सवाल फिर वही जब खुद सामाजिक दूरी का पालन नहीं कर सके तो दूसरों को क्या नसीहत देंगे।
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