मेहलक़ा अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
बुरहानपुर के उस्ताद शायर, महाराष्ट्र के कोकण क्षेत्र से सेवानिवृत्त शिक्षक अमानत हुसैन तसनीम अंसारी के पिता कामरेड हबीबुल्ला का 63 वर्ष की आयु 30 अप्रैल 2020 को प्रातः 10:00 बजे निधन हो गया। मूल रूप से उनका संबंध बुरहानपुर से था लेकिन शैक्षणिक योग्यता पूरी करने के पश्चात और नौकरी की तलाश में वह महाराष्ट्र कूच करके कोकन राजे वाड़ी क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया और इस क्षेत्र में अपनी योग्यता के बल पर शैक्षणिक, साहित्यिक, सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से एक यूनिक स्थान प्राप्त किया। मरहूम गुलाम हुसैन शमीम अशरफी के शागिर्द और जांनशीन अव्वल (प्रथम उत्तराधिकारी) थे। मरहूम तसनीम अंसारी के महत्वपूर्ण शिष्यों में डॉक्टर जलील बुरहानपुरी का नाम प्रथम पंक्ति में सम्मान के साथ लिया जाता है। उनके निधन पर सबसे ज्यादा दुख और सदमा डॉक्टर जलील बुरहानपुरी एवं तसनीम अंसारी के अभिन्न मित्र मोइन अख्तर अंसारी को हुआ है जिसको शब्दों में बयान करना संभव नहीं है। बुरहानपुर में हर्फ हर्फ आईना सोसाइटी बुरहानपुर और उसकी सहयोगी संस्थाओं के तत्वधान में सन 2010 में जश्ने तस्नीम अंसारी का भव्य आयोजन मोमिन जमातखाना अंसार नगर बुरहानपुर में किया गया था। इस अवसर पर उनके काव्य संग्रह ” इज़हार ” का विमोचन भी खतीब ए कोकन अली एम शमसी साहब की मौजूदगी में संपन्न हुआ था। यहां यह बात उल्लेखनीय है कि उनके चिरंजीव सपूत ” इज़हार” से उनकी अभिन्न मोहब्बत के संदर्भ में उन्होंने अपने काव्य संग्रह का नाम अपने पुत्र इज़हार के नाम से ही समर्पित किया था। तसनीम अंसारी का जश्न दुबई के कुवैत में भी संपन्न हुआ था जिसमें बुरहानपुर के चार शायरों को वहां जाने का अवसर प्राप्त हुआ था। गुरुवार दोपहर 2:30 बजे उनका जनाजा शासकीय कन्या शाला, हरीरपुरा बुरहानपुर के सामने से उठाया गया और दाई अंगा कब्रस्तान में उन्हें सुपुर्द ए खाक किया गया। मरहूम की नमाजे जनाजा उनके बड़े भाई एवं जमात-ए-इस्लामी हिंद शाखा बुरहानपुर के वरिष्ठ सदस्य फजलुर रहीम ने अदा की। उनका एक पुत्र “इज़हार” एफडीडीटी कलम कुवैत में निवास करता है लेकिन लाॅक डाउन के कारण उसको अपने पिता के अंतिम दर्शन नहीं हो सके। जनाजे में बुरहानपुर की शायर बिरादरी से उस्ताद लतीफ शाहिद, नईम खादिमी, नईम राशिद, मजाज आशना, ताहिर नक्काशी, तफ़्ज़ील मुफ्ती, अहमद जमील कासमी सहित अन्य शायरों ने शिरकत कर नम आंखों से उन्हें खिराजे अकीदत पेश की। उनकी एक बेटी का विवाह बुरहानपुर के ख्याति नाम शायर कमाल अंसारी (कुवैत) पिता नईम राशिद के संग हुआ है।
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