झांसी से पैदल निकले 11 श्रमिक 10 दिनों में पहुंचे बहराइच | New India Times

फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ, बहराइच (यूपी), NIT:

झांसी से पैदल निकले 11 श्रमिक 10 दिनों में पहुंचे बहराइच | New India Times

कोरोनो वायरस संक्रमण को रोकने के लिये देशभर में 3 मई तक लॉकडाउन लागू है जिसके चलते परिवहन सेवाएं पूरी तरह बंद हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सभी नागरिकों को वायरस से लड़ने में सहायता करने के लिए घर पर रहने की अपील की है लेकिन दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों के पास अब पैसे नहीं बचे हैं। कमाई बंद हो जाने से उनके पास अपने गांव लौटने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं है। यही कारण है कि पीएम मोदी से लेकर शासन प्रशासन की ओर से लगातार लोगों को अपने घरों में ही रहने की अपील की जा रही है बावजूद इसके गैर राज्यों से अपने-अपने प्रदेशों व जिलों एवं कस्बों में पहुंचने के लिये प्रवासी श्रमिकों के लौटने का सिलसिला जारी है। बहराइच जिले में भी बीती देर शाम झांसी से पैदल ही बहराइच तक का सफर तय करते हुए पहुंचे 11 श्रमिक रात में ही भिन्गा जाने के लिये पैदल ही प्रस्थान करते देखे गये हैं।

झांसी से पैदल निकले 11 श्रमिक 10 दिनों में पहुंचे बहराइच | New India Times

ज्ञात हो कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से प्रभावित प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी बुधवार को भी जारी रही। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते चल रहे लॉकडाउन के कारण मुम्बई, झांसी, पंजाब, दिल्ली आदि अन्य प्रदेशों में उद्योग एवं अन्य कारोबार बंद हो जाने से श्रमिकों के घर वापसी के सिवाय दूसरा कोई चारा भी नहीं है। लाचार श्रमिक सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंच रहे हैं। बीती देर रात को 11 श्रमिकों की एक टोली 10 दिनों तक पैदल चलने के बाद सैकड़ों किलोमीटर का फैसला तय करते हुए झांसी से बहराइच पहुंची और शहर के मुख्य मार्ग घण्टाघर, छावनी से दरगाह होते हुए भिन्गा के लिये रवाना हो गयी। इस दौरान जब हमने श्रमिकों से पूछा तो झांसी से पैदल चलकर आये रवि कुमार मिश्रा ने बताया कि वह सभी झांसी से पैदल ही चलकर बहराइच पहुंचे हैं और भिन्गा तक का सफर उन्हें पैदल ही तय करना है। एक और चौंकाने वाली बात सामने तब आयी जब उन्होंने बताया कि जनपद की सीमा में प्रवेश करने के बाद से उन्हें न तो जिले में कहीं भी रोका गया और न ही उनका कोई चेकप ही हुआ। हालांकि उन्होंने यह ज़रूर बताया कि जनपद बाराबंकी में प्रवेश करने पर उनका वहां पर स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। रवि ने बताया कि वह झांसी में मज़दूरी पर काम करते हैं। लॉकडाउन के कारण काम बन्द हो गया और खाने के लिए अब पैसे भी नहीं बचे हैं इसलिये उन्होंने अपने सभी 11 सहयोगियों के साथ पैदल ही अपने गांव अपने घर लौटने का फैसला लिया और दस दिनों तक पैदल चलने के बाद वह सभी बहराइच पहुंचे हैं और भिन्गा तक का सफर वह सभी पैदल ही तय करेंगे। वहीं इस टोली में मौजूद श्रमिक याकूब अली बताते हैं कि झांसी में वह मज़दूरी करते हैं, काम बंद होने के बाद से उनके आगे भी खाने पीने का संकट पैदा हो गया लिहाजा पैदल ही झांसी से भिन्गा जाने के लिए अपने 11 साथियों के साथ वह निकले हैं। सैकड़ों किलोमीटर का फासला तय करते हुए दस दिनों के बाद वह सभी बहराइच पहुंचे हैं और साधन न मिलेने के चलते भिन्गा तक का सफर वह सभी पैदल ही तय करेंगे। खास बात यह रही कि रात्रि करीब 10:30 बजे शहर की सड़कों से गुज़र रहे इन 11 श्रमिकों को न तो घण्टाघर पर कोतवाली नगर की पुलिस ने ही रोका और न ही दरगाह पुलिस बैरिकेडिंग को पार करते हुए दरगाह थाने के सामने से गुजरते समय दरगाह पुलिस ने ही इन्हें रोका और इनका कोई परीक्षण कराया। ऐसे में जिले में 9 कोरोना पॉजीटिव केस मिलने के बाद भी जारी यह लापरवाही जिलेवासियों के लिये घातक सिद्ध हो सकती है।


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