रोटा वायरस प्रतिबाधक मुहिम का आरंभ: कुपोषण से मिलेगी मुक्ति? | New India Times

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:रोटा वायरस प्रतिबाधक मुहिम का आरंभ: कुपोषण से मिलेगी मुक्ति? | New India Times

मानसून मे फ़ैलने वाली संक्रामक बिमारीयो से शिशुओ को बचाने के लिए राज्य सरकार ने रोटा वायरस प्रतिबाधक मुहिम का आरंभ कर दिया है। यावल तहसिल के किनगांव प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में केंद्र अधिकारी डाॅ मनिषा महाजनैऐ ने गणमान्यों के उपस्थिति में इस अभियान की शुरुवात की। श्रीमती अरुणा पाटील, पं स सभापती पल्लवी चौधरी, उमाकांत पाटील, स्वास्थ अधिकारी डाॅ हेमंत बर्हाटे, टीकाराम चौधरी आदि मौजुद रहे। एक साल आयु के भीतर के सभी शिशुओं को रोटा प्रतिबाधन औषधि पोलियो की तरह पिलाई जाएगी।

मुहिम के बारे में जानकारी में डाॅ मनीषा ने बताया कि मानसून के कारण वातावरण में पनपे बदलावों के बीच बच्चों मे अतिसार यानी लुस मोशन की काफी शिकायतें रहती हैं जिससे बच्चों मे कमजोरी आकर वह कुपोषण के भी शिकार होते हैं। इस महामारी से हर साल पूरे भारत में करीब 75 हजार बच्चे दम तोड देते हैं। इसी स्थिती पर नियंत्रण के लिए रोटा प्रतिबाधन का आरंभ किया गया है जो सभी केंद्रों में नियमित रुप से बच्चों को पिलाई जाएगी। बहरहाल सार्वजनिक स्वास्थ से जुडी रोटा वायरस प्रतिबाधन टीकाकरण मुहिम जैसी अन्य सैकडों योजनाएं हैं जिनका सरकार द्वारा ढोल पिटकर खुब शोर मचाया जाता है। राजनितीक लाभ की मंशा से इन योजनाओं को मीडिया के जरीये जनआंदोलन की शक्ल भी दी जाती है लेकिन न्यू इंडीया के लिए प्रभावी यह योजनाएं असली भारत तक पहुंच नहीं पाती हैं इसलिए मेलघाट जैसे आदीवासी इलाके मे 2014 से 2016 के बीच 500 मासुम बच्चे कुपोषण से दम तोड देते है और किसी भी माध्यम पर इस खबर को गंभीरता से इस लिए नहि चलाया जाता कि कहि इसे सरकार के मुखालफ़त मे विपक्ष का प्रोपागैंडा न करार दिया जाए ! किनगांव स्वास्थ केंद्र जो कि सातपुडा पहाडीयो के तलहटी मे बसे आदीवासी गांवो से घिरा है यहा अपने कर्तव्य के प्रती इमानदार डा महाजन जैसे अधिकारीयो के जज्बे से स्वास्थ विभाग कि प्रत्येक योजना गरीब आदीवासियो तक पहुच रहि है यह बात इस लिए भी सराहनीय है कि यहा किसी भी प्रोपागैंडा को कोई जगह नहीं बचती।


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