रहीम शेरानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
झाबुआ जिले में सरकारी स्कूलों के हाल बेहाल है। कहीं स्कूल भवनों में घास भरा हुआ है तो कहीं स्कूल भवन कबाड़खाना बनि हुआ है। सरकारी स्कूल का जब ख्याल आता है तो हमें पुराने कमरे, फटी पुरानी दरी एवं आंगन में बैठे छात्र, बदहाल पेयजल व्यवस्था और स्कूल परिसर में घूमते आवारा मवेशी की याद आ जाती है लेकिन हम आपको एक एसे सरकारी स्कूल के दिदार करवाएंगे जिसके एडमिशन के लिए बच्चे प्राइवेट स्कूल छोड़कर शासकीय स्कूल आते हैं। आप को यकीन नहीं होगा, जी हां हम आपको ऐसे ही एक झाबुआ जिले की शासकीय उत्कृष्ट बालक प्राथमिक विद्यालय झकनावदा की ओर ले चलते हैं, जहां कमरों एवं विद्यालय भवन की दीवारों पर शानदार पेंटिंग्स बनी हुई, जिसमें फ्लावर्स नेम, फल फ्रूट के नेम गिनती पहाड़ा आदि बनाए गए हैं साथ ही स्कूल में आरो का शीतल पेयजल मशीन लगाकर छात्रों के लिए है। बच्चों के मनोरंजन खेलने के लिए केरम बोर्ड, बैट बल्ला (गेंद) फुद्दी-बेड, आदी मनोरंजन की सामग्री मीडिया एक्टिविटी के लिए कंप्यूटर प्रिंटर जैसी विशेष व्यवस्थाएं हैं। इसलिए विश्वास करना मुश्किल है लेकिन ऐसी शासकीय उत्कृष्ट बालक प्राथमिक विद्यालय यहां पर सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं झाबुआ जिले के सुदूर अंचल में बसा झकनावादा की सरकारी स्कूल में सुविधाएं है जहां प्राइवेट स्कूल को छोड़कर बच्चे एडमिशन के लिए सरकारी स्कूल में आने के लिए होड़ लगी है।
प्राइवेट स्कूल की तरह डेवलप
आपको बता दें कि इस शासकीय विद्यालय को प्राइवेट विद्यालय (शिक्षा का मंदिर) बनाने का प्रधान अध्यापक हेमेंद्र कुमार जोशी द्वारा ठान लिया गया था और आज उस स्कूल शिक्षा के मंदिर की तस्वीर बदली हुई है। झाबुआ जिले के झकनावदा में सामने है। आपको बता दें कि यहां शिक्षा के साथ सोश्यल एक्टिविटी, धार्मिक गतिविधि एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम संगीत की भी कई क्लास लगती है। इस स्कूल को देख कई बार प्रशासन द्वारा सराहना भी की गई है।
स्कूल संस्था द्वारा स्टेशनरी सामग्री की भेंट
नवीन शैक्षणिक सत्र में स्कूल के शुभारंभ में नवीन स्कूल बच्चों को तिलक लगाकर अगवानी की गई। साथ ही स्कूल छात्रों के पालकों को स्कूल में बुलवा कर एवं साथी पूर्व सांसद प्रतिनिधि अजय वोहरा, मनीष कुमट गोपाल विश्वकर्मा ने स्कूल संस्था द्वारा स्कूल बैग कॉपी पेन आदि छात्रों को निशुल्क प्रदान किए। इस स्कूल की एक और विशेषता यह है कि इस वर्ष मप्र के भोपाल में शासन द्वारा शासकीय स्कूलों में जो नर्सरी स्कूल की शुरुआत की गई है, उसी तर्ज पर प्रधानाध्यापक हेमेंद्र जोशी द्वारा झाबुआ जिले के झकनावदा में भी प्राइवेट स्कूल जैसी नर्सरी स्कूल की शुरुआत की गई है। जिसमें बच्चों के खेलने पढ़ने की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई है। श्री जोशी ने बताया कि हमारा एक लक्ष्य है कि 1 वर्ष में हम छात्रों को 6 ड्राइंग बुक दे, जिससे कि वह चित्रकला में रुचि रखकर एक अच्छे पेंटर बन सके।
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