चुनाव के समय मुस्लिम तंजीमों के फतवे बीजेपी के लिए साबित होते हैं फायदेमंद | New India Times

अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:चुनाव के समय मुस्लिम तंजीमों के फतवे बीजेपी के लिए साबित होते हैं फायदेमंद | New India Times

भारत में अनेक ऐसी मुस्लिम तंजीमें हैं जो आम दिनों में कहने को तो अपने आपको सामाजिक व धार्मिक तंजीमें कहलवाना पसंद करती हैं लेकिन चुनावों के मौसम में मतदान के एक या दो दिन पहले एक मुस्लिम यूनिटी के तहत मुस्लिम मतदाताओं के एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ मतदान करने का फतवा जारी करके भाजपा को बहुसंख्यक मतों का अपने पक्ष मे ध्रुवीकरण करने में सहायता पहुंचाने का काम करती हैं। यानि भाजपा के कमल खिलने के लिये खाद व पानी इन्हीं फतवों से मिलने के चलते भाजपा आज भारत की सबसे बडी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है।चुनाव के समय मुस्लिम तंजीमों के फतवे बीजेपी के लिए साबित होते हैं फायदेमंद | New India Timesभारत में अब 2019 में हो रहे आम लोकसभा चुनाव के 11-अप्रेल के पहले दौर के मतदान के दो दिन पहले तक पश्चिमी यूपी में महागठबंधन के उम्मीदवारों की जीत सूनिश्चित लग रही थी लेकिन पूरे पांच साल राजनीतिक तौर पर अलग थलग रहने वाली धार्मिक तंजीम जमात-ए-इस्लामी ने एक फतवा जारी करके कहा कि मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर भाजपा को हराने के लिये महागठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करें। कट्टर धार्मिक तंजीम जमात-ए-इस्लामी हिंद की इस अपील (फतवे) को मुस्लिम समुदाय ने तो कितना सीरियस लिया या नहीं लिया यह दिगर बात है पर इस फतवे का भाजपा ने बहुसंख्यक मतों के ध्रुवीकरण करने के लिये जमकर भूना कर हारी हुई बाजी जीतने की तरफ परिणाम ले जाते नजर आये।
भारत की मुस्लिम धार्मिक तंजीमों में अनेक तंजीमें ऐसी हैं जिनका मुस्लिम समुदाय में राजनीतिक व सामाजिक आधार ना के बराबर है लेकिन मतदान के कुछ दिन पहले उक्त तरह के फतवे जारी करके असल में भाजपा के पक्ष में बहुसंख्यक मतों को ध्रुवीकरण करने के लिये बहुत बडा सहयोग करते नजर आते हैं। अपने आपको मुस्लिम समुदाय की सबसे बड़ी प्रभाव वाली तंजीम बताने की लालसा के चलते उक्त मुस्लिम तंजीमें चुनावी समय में मुस्लिम से एकजुटता के साथ भाजपा को हराने के लिये मतदान करने के लिये जारी फतवे से हमेशा भाजपा को ही फायदा पहुंचता आया है।कुल मिलाकर यह है कि भारत में अनेक मुस्लिम सामाजिक व धार्मिक तंजीमें ऐसी हैं जिन पर पर्दे के पीछे संघ से सांठगांठ करने के आरोप चुनावी मौसम में लगते रहे हैं। जो तंजीमें चुनावों के समय अचानक अति सक्रिय होकर अपने आपको सबसे बडी मुस्लिम हितैषी व प्रभावशाली तंजीम सिद्ध करने के लिये मुस्लिम समुदाय को उकसा कर एकजुट होने की अपील करके भाजपा के लिये खाद व बीज का काम करते हैं। अगर धार्मिक तंजीमों को समुदाय की सियासी रहनुमाई करनी है तो वो साल के 365 दिन सियासी बेदारी व तरबियत के काम करें ताकि मतदान के ऐन वक्त उक्त तरह के फतवे जारी करने की जरूरत ही ना पड़े।


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