अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
यूपी की राजधानी लखनऊ में 11 फरवरी को प्रियंका गांधी के निकले पहले मौन मार्च में केवल मुस्लिम नेता को छोड़कर बाकी सभी बिरादरियों के नेताओं को प्रियंका गांधी के साथ खड़ा करके लोकसभा चुनाव में वोट बटोरने की कोशिश के बाद यह साफ हो चला है कि कांग्रेस साॅफ्ट हिन्दुत्व के ऐजेण्डे को पूरी तरह अपनाते हुये केंद्र की सत्ता पाने का शायद खाका खींच चुकी है।
बिन मांगे अपने आप वोट देने वाले मतदाताओं की आवाज में ना दम होता है और ना ही उनके बिगड़ने का खौफ किसी दल को सताता है। ऐसे मतदाता केवल मतदाता होते हैं जो वोट बैंक बने रहने मे विश्वास करने से कभी पीछे नहीं हटते। किसी एक दल को हराने के लिये उस जैसी फितरत वाले दूसरे दल को मत इसलिए देता है कि उस दल की सरकार मे उन्हें उचित हिस्सेदारी मिलेगी। एक दफा धोखा खाकर संभलने वाला इंसान कहलाता है लेकिन बार बार धोखा खाने वाला कम से कम इंसान के बराबर तो नहीं माना जा सकता है। हर दफा परिणाम होता वही है जिसका अनुमान पहले से मुस्लिम समुदाय को होता आया है।
राजस्थान में कांग्रेस लोकसभा चुनाव में एक मुस्लिम उम्मीदवार को रिवायत के तौर पर उस सीट से टिकट देती आ रही है जहां से कांग्रेस उम्मीदवार के जीतने की सम्भावना पूरी तरह क्षीण होती है। फिर भी झूझूनु लोकसभा सीट ऐसा उदाहरण पैश कर देती है कि जहां से दो दफा कैप्टन मोहम्मद अय्यूब खां नामक शख्स कांग्रेस के निशान पर चुनाव जीतकर लोकसभा सदस्य बन जाता है। उसके बाद मुस्लिम उम्मीदवार के जीतने की अधिक सम्भावना वाले झूझूनु लोकसभा क्षेत्र से मुस्लिम को टिकट देने के सिलसिले पर पूर्णविराम लगाकर अन्य किसी सीट पर केवल खानापूर्ति के लिये मुस्लिम उम्मीदवार बनाया जाता रहा है। पर मुस्लिम उम्मीदवार अभी तक झूझूनु के अलावा अन्य सीट पर आज तक जीत नहीं पाया है।
राजस्थान की पच्चीस लोकसभा सीटों में से चूरु, जयपुर व झूझूनु से कुछ मुस्लिम कांग्रेसी नेता टिकट पाने का जुगाड़ बैठाने में प्रयासरत हैं लेकिन कांग्रेसी सूत्रों व उसकी नीति व गति को देखते हुये लगता है कि मुस्लिम के चुनाव जीत नहीं पाने का बहाना बनाकर काग्रेंस पूरी तरह साॅफ्ट हिन्दुत्व के रास्ते पर चलते हुये मुसलमानों के हाथ में मोके की नजाकत का बहाना बनाकर एक दल को हराने का झूंझूना जरुर थमायेगी। जयपुर शहर सीट पर अश्क अली व दूर्रु मियां के टिकट की चाहत रखने वालों की सूची में शुमार माना जा रहा है। जबकि चूरु से डाॅ. निजाम, खानू खान व रफीक मण्डेलिया का भी नाम लिया जा रहा है। इसके विपरीत झूंझुनू से शब्बीर खान का नाम भी जबान पर चर्चा में आता व सूना जाता रहा है।
भारत में मौजूदा समय में बन रहे राजनीतिक माहौल के मुकाबले में कांग्रेस एक दफा फिर से अपने सतर साल के राजनीतिक इतिहास को दोहराते हुये मुस्लिम समुदाय में खौफ व भय का माहौल बनाते हुये एक खास दल को हराने के लिये जहर का घूंट पीकर भी कांग्रेस के निशान का बटन दबाने का माहौल अपने खास लोगों के मार्फत पूरी तरह मुस्लिम समुदाय में फैलाने की कोशिश करेगी जिसमें बिना कुछ हिस्सेदारी दिये मुस्लिम स्वयं आगे बढ़कर कांग्रेस को मत देते नजर आयेंगे।
हालांकि अब तक की चर्चा और बनते बिगड़ते राजनीतिक माहौल में राजस्थान कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार बनाने की जारी कसरत से सम्भावना जताई जा रही है कि राजस्थान में एक भी मुस्लिम को कांग्रेस उम्मीदवार नहीं बनाने जा रही है। दूसरी तरफ राजस्थान में भी कांग्रेस सरकार बनने के बाद आज तक के सरकारी फैसलों से साफ नजर आ रहा कि कम से कम आगामी लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस साॅफ्ट हिन्दुत्व के ऐजेण्डे को आगे बढ़ाने में किसी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
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