मकसूद अली, ब्यूरो चीफ यवतमाल (महाराष्ट्र), NIT:
यवतमाल को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए ज़मीनी स्तर पर जो काम शुरू है वह राहगीरों और आस पास रहने वालों की सेहत पर भारी पड़ रहा है।
शहर में विकास कार्य पिछले 2 वर्षों से शुरू है। इस विकास कार्यों से निःसंदेह प्रदूषण में काफी इजाफा हुआ है। इस प्रदूषण से शहर के नागरिकों को सांस से सम्बंधित बीमारियों से खास कर बच्चे-बुजुर्ग और मरीज परेशान हैं, इसमें प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का भी समावेश है, जो कार्रवाई के आभाव में बेलगाम हो गए हैं।
जर्जर सड़कें
शहर में जहां जहां विकास कार्य शुरू है वहां की सड़कें जर्जर हो गई हैं। ऐसी सड़कें स्वास्थ्य के साथ वाहनों को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं। जर्जर सड़कों से पेट से जुडी बीमारी (दस्त, उल्टी, अनपच आदि) और कमर से जुडी बीमारियां (जॉइंट पेन, हड्डियों, रीड की हड्डियों में दर्द आदि) की शिकायतें बढ़ने लगी हैं। वहीं दूसरी ओर गाड़ियों के कलपुर्जे भी जवाब देने लगे हैं और ईंधन की खपत बढ़ गई है।
सीमेंट सड़क से बढ़ेगी गर्मी
पिछे कुछ वर्षों से सत्ता किसी की भी हो सीमेंट सड़क निर्माण को तरजीह दी जा रही है। शहर में सीमेंट सड़क के निर्माता भी नहीं के बराबर थे इसके बावजूद शहर के सीमेंट सड़कों का निर्माण धड़ल्ले से हो रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से जितनी भी सड़कें निर्मित हुई हैं इनमें एक भी सड़क दर्जेदार नहीं होने के आरोप लग रहे हैं। डामर की सड़कों के मुकाबले सीमेंट की सड़कों से शहर का तापमान बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, जिसका असर घूम फिर कर नागरिकों की सेहत पर ही पड़ने का डर बढ़ गया है।
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