कासिम खलील, ब्यूरो चीफ बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT:
बुलढाणा जिले में बोथा जंगल के नाम से मशहूर ज्ञानगंगा अभयारण्य में 7 नवंबर को अचानक आग लग जाने से करीब 10 हेक्टर वन क्षेत्र जल कर राख हो गया है। बड़ी मुश्किल से वन्य जीव विभाग के कर्मचारियों ने आग पर काबू पाया।
बुलढाणा, खामगांव, चिखली व मोताला इन चार तहसीलों में विस्तारित ज्ञानगंगा अभयारण्य में तेंदुआ, भालू, लकड़बगघे, जंगली कुत्ते जैसे हींसत्र प्राणी के अलावा नीलगाय, हिरण, जंगली सूअर, मोर, अजगर, विषैले सांप आदि वन्यजीवों का अधिवास है। पिछले 2 साल पहले अमरावती वन्यजीव विभाग का पदभार बतौर सीसीएफ एम.एस. रेड्डी ने संभालने के बाद उन्होंने ज्ञानगंगा अभयारण्य पर विशेष ध्यान देते हुए अभ्यारण में होने वाली मवेशियों की अवैध चराई पर प्रतिबंध लगाने के लिए उपाय योजना की और बड़ी हद तक इसमें सफलता भी मिली। अभ्यारण में होने वाली मवेशियों की चराई बंद होने से जंगल में घास, पौधे बड़ी तेजी से बढ़ने लगे हैं। इसी अभयारण्य से होकर बुलढाणा-खामगांव मार्ग गुजरता है। इस मार्ग से गुजरने वाले वाहन धारक कई बार जलती हुई बीड़ी- सिगरेट बाहर फेंक देते हैं जिससे घास को चिंगारी मिलती है आग लग जाती है। 7 नवंबर को दोपहर में 1 बजे के करीब बुलढाणा रेंज की उत्तर देवहारी बिट में आग लग गई। हवा तेज होने के कारण आग बड़ी तेजी से जंगल में फैलती चली गई। इस घटना की जानकारी बुलढाणा वन्यजीव विभाग को मिलते ही अधिकारी, कर्मी एवं वन मजदूर घटनास्थल पर पहुंचे और फायरब्लोर के अलावा अन्य साधनों से आग पर काबू पा लिया, किंतु तब तक करीब 10 हेक्टर वन क्षेत्र जलकर राख हो चुका था। आग पर काबू पाने के लिए वन्यजीव विभाग के कर्मियों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ा तब जाकर यह आग काबू में आई।
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