अशफाक कायमखानी, जयपुर, NIT;
राजस्थान की सियासत में मुस्लिम समुदाय को लेकर वैसे भी सियासी दलों में असमंजस की स्थिति पिछले कुछ अर्से से बनी हुई है कि इसी साल नवंबर में होने वाले आम विधानसभा चुनाव में यह समुदाय किस तरफ जाकर किसको वोट करेगा एवं किसके खिलाफ जाकर चुपचाप मतदान करके किसका बैंड बजाता है। इसी उवापोह के हालात के मध्य जयपुर में ईद के दिन नमाज के बाद ईदगाह पर बडी तादाद में मौजूद नमाजियों को राजस्थान के चीफ काजी खालिद उस्मानी ने सम्बोधित करते हुये सियासी दलों से मुसलमानों को उनका वाजिब हक देने की अपील करने के साथ साथ उन दलों को कड़ी चेतावनी देते हुये यहां तक कह डाला कि इसमें अगर सियासी दलों द्वारा वादा खिलाफी करने पर उन्हें इसके परीणाम भी भूगतने को तैयार रहने की कहकर सियासी दलों में हड़कंप मचा दिया है।
राजस्थान में काफी प्रभावशाली माने जाने वाले चीफ काजी खालिद उस्मानी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आटे में नमक व ऊंट के मुंह में जीरे की तरह सियासी दल मुस्लिम समुदाय को नूनुमाइंदगी देने का दिखावा मात्र जरुर करते हैं लेकिन वो भी असल में अच्छे मुस्लिम लीडर के बजाये अपने चापलूस लोगों को ही आगे बढाते हैंजिनका आम मुस्लिम मसाइलों से कोई सरोकार नही होता है। उन्होंने इस मसले को लेकर पूरे राजस्थान में जल्द दौरा करके जनजागृति लाने का ऐहलान भी किया।
राजस्थान की सियासत में वैसे तो भाजपा व कांग्रेस में सीधा मुकाबला अब तक होता नजर आता है लेकिन पिछले एक अर्से से विभिन्न सियासी दलों की चालाकी, वादाखिलाफी के चलते समुदाय में पनपे असंतोष व उनके प्रति आई उदासीनता के चलते मुस्लिम कयादत द्वारा संचालित सियासी दल पॉपुलर फ्रंट, एसडीपीआई, वेल्फेयर पार्टी आफ इण्डिया, जस्टिस पार्टी व ओवेसी की इत्तेहादुल मुस्लेमीन नामक पार्टियों ने भी लगातार काफी मेहनत करके प्रदेश के मुस्लिम-दलित बहुल हिस्से में काफी हद तक अपना प्रभाव जमा लिया है। पिछले चुनावों मे कांग्रेस ने सोलह व भाजपा ने चार टिकट अपने चापलूस मुस्लिमों के देकर उन्हें उम्मीदवार बनाया था। जिनमें कांग्रेस के सभी सोलाह के सोलाह उम्मीदवारों को जनता ने ठूकरा दिया था और भाजपा के चार में से दो उम्मीदवार भी हार का मजा चखने पर मजबूर हुये थे। प्रदेश में भाजपा-कांग्रेस व मुस्लिम पार्टियों के अलावा बसपा, सपा, एनसीपी व आम आदमी पार्टी के अलावा वाम मोर्चा का भी कांग्रेस की निष्क्रियता व उदासीनता के चलते अलग अलग पाकेटास में खासा प्रभाव जम चुका है। दूसरी तरफ कांग्रेस में संघ जहनीयत के नेताओं का प्रभावशाली पदों पर फाईज होने व उनके चुनाव लड़ने के खिलाफ आज भी मुस्लिम तबके में नाराजगी पूरी तरह व्याप्त है। पिछले चुनावों में कांग्रेस ने एक बडी सियासी गलती यह की थी कि अधिकांश मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने अंदर मौजूद संघ प्रवृति के नेताओं को उम्मीदवार बनाने के साथ साथ तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के लिये अपशब्दों का अनेक दफा खूले तौर पर इजहार करने वाले सीनीयर VHP नेता की पूत्र वधू को ही उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतार डाला था। जिसके चलते अनेक जगह मुस्लिम उम्मीदवार भाजपा-कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के उम्मीदवार बनकर मैदान में आकर अच्छे खासे वोट लेजाकर एक अलग सियासी ताकत बनाने की तरफ संकेत दे दिया था। अगर इसी साल होने वाले आम चुनावों में कांग्रेस भाजपा का रवैया अगर वही पुराना वाला रहा तो मुस्लिम समुदाय में पुराने हालात फिर बन सकते हैं।
हालांकि राजस्थान में जमीयत ऊलेमा ऐ हिंद, जमात ऐ इस्लामी जैसी अनेक गैर सियासी संगठनों का भी अच्छा खासा प्रभाव मुस्लिम समुदाय पर कायम है। इसके अलावा चाहे सियासत से दूर मानी जाने वाली तब्लीगी जमात के फर्द अपने लोगो का इशारा पाकर हर हाल में मतदान करने मे विश्वास करते रहते आये है। पर अब तो राजस्थान के जाने माने प्रभावशाली धार्मिक लीडर चीफ काजी खालिद उस्मानी के ईद के दिन नमाज के बाद ईदगाह से दिये गये सियासी पैगाम व प्रदेश में इस मसले को लेकर उनके द्वारा जल्द दौरा करने के ऐलान ऐ के बाद कोई भी सियासी नेता व पार्टी प्रवक्ता इस पर पूरी तरह चुप्पी साद लेने के साथ साथ एक शब्द भी मुंह से निकालने को तैयार नही है। मानो उनको चीफ काजी के ऐहलान के बाद सांप सूंघ गया हो।
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