शेरा मिश्रा/अविनाश द्विवेदी, कटनी (मप्र), NIT; कैमोर एसीसी सीमेंट प्लांट हेड की हरकत कम्पनी मैनेजमेंट को विरोध के कटघरे में खडा करती जा रही है। सुधार की बजाय स्थितियां विक्राल रुप ले रही हैं। जहां मैनेजमेंट सभी को सामान्य रोजगार देना चाहती है, वही प्लांट हेड अपनी मनमानी प्लांट पर थोप कर कम्पनी को विरोधी गतिविधियों में शामिल कर देते हैं।
कैमोर नगर जहां बेरोजगारी की पीडा झेल रहा है वहीं कुछ लोगों को रोजगार देकर भेदभाव पैदा किया जा रहा है। एसीसी सीमेंट प्लांट में लगभग 150 ठेकेदार हैं, लेकिन सिर्फ कुछ ठेकेदार ही सत्ता का दबा बनाकर करोड़ों कमा रहे हैं। NIT ने अपनी खबर में यह उजागर किया था कि एसीसी की खदानों में सुरक्षा व्यवस्था नही है, जिससे जानवर व पशु अपनी जान गंवाते हैं। मायनिंग विभाग ने खबर पर तुरंत कार्रवाई की और एसीसी मैनेजमेंट को महगांव, जमुआनी, बम्हनगवां खदानों को सुरक्षित करने के आदेश दिए जिसके लिए मुंबई हेड आफिस ने सात करोड़ की मंजूरी दी है। मंजूरी मिलने के बाद राजनीतिक ठेकेदारों ने बेरोजगारों को दरकिनार कर खुद कार्य करने के लिए अग्रसर हुए और प्लांट हेड ने सात करोड़ की लागत से होने वाले खदान की बाउंड्री वाल का ठेका सिर्फ सात लोगों को दे दिया। ठेका देने के बाद प्लांट हेड यह कहते सुने गए की सत्ता पक्ष उनके कार्य में बाधा बन रहा है। किसी भी कार्य के होने के पूर्व सत्ता पक्ष के नेताओं के फोन आते हैं और हम पर दबाव बनाया जाता है। आखिर कार यही हुआ प्लांट हेड कि बात सत्य साबित हुई। सात करोड़ का कार्य बेरोजगारों के लिए निकला तो लेकिन सत्ता पक्ष ने वह भी अपने हिस्से में दबा लिया और बेरोजगार हाथ पर हाथ रखे बैठे रह गए और बाजी सत्ताधारियों ने मार ली।कैमोर की आम जनता यह आरोप लगा रही है कि क्या जनप्रतिनिधियों को इसी लिए पदों पर बिठाया गया था ताकि समय आने पर वह अपने शागिरदों को मुनाफा दिला सकें? क्या क्षेत्र की जनता ने मतदान नहीं किया था या सिर्फ इन शागिरदों ने मतदान किया था? इस तरह का मतभेद राजनेताओं और एसीसी मैनेजमेंट को विरोधी कटघरों में खडा कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार जिन ठेकेदारों पर मैनेजमेंट ने मेहरबानी की है वह कांट्रेक्शन का वेंडर नहीं है बल्कि वह इलेक्ट्रिकल का वेंडर है, फिर भी मैनेजमेंट सत्ता पक्ष के दबाव के तले दब कर एसीसी को विरोधी गतिविधियों में दबा कर रख दिया है। प्लांट हेड को सिर्फ सत्ता पक्ष ही नजर आती है, विरोध का कोई डर भय नहीं है। सूत्रों ने बताया की प्लांट हेड तो यह भी कह रहे हैं कि प्लांट व मेरा विरोध करने वालों से हमारे संरक्षक जनप्रतिनिधी हमारी सुरक्षा करेंगे। हालांकि प्लांट हेड यह भुल चुके हैं कि जनता जनार्दन सबसे ऊपर है। जहां न किसी जनप्रतिनिधी की चलती न कीसी सत्ता की, जनता के सामने सब नतमस्तक हैं। जनप्रतिनिधी अपने मुनाफे के लिए मांग करेंगे ही लेकिन यह सोचना मैनेजमेंट व प्लांट हेड का कार्य है कि प्लांट का विरोध भी न हो और कार्य भी सभी को बराबर मिले, सभी का परिवार चलेगा तो सभी प्लांट के समर्थन में रहेंगे अन्यथा विद्रोह तो लाजमी है।
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