बिहार ट्रक ओनर एसोसिएशन ने पुलिस पर लगाया अवैध असूली का गंभीर आरोप, सुधार नहीं होने पर दी आंदोलन की चेतावनी | New India Times

अतीश दीपंकर, ब्यूरो चीफ, पटना (बिहार), NIT:

बिहार ट्रक ओनर एसोसिएशन ने कल भागलपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पुलिस अवैध असूली कर रही है यदि सुधार नहीं हुआ तो उनके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।मामले को लेकर एसोसिएशन ने भागलपुर डीएम को ज्ञापन भी दिया है।

ज्ञापन में मांग किया गया कि, बांका जिला से अबैध खनन होकर ओवरलोड बिना माइनिंग चालान के चलने बाली सभी ट्रक पर प्रतिबंध लगे।

कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि खनन मंत्री विजय सिन्हा के आदेश का पालन मजिस्ट्रेट, जिला खनन पदाधिकारी करें। पुलिस गिट्टी और बालू के गाड़ियों की जाँच नहीं कर सकती। बालू और गिट्टी परिवहन करने वाले ट्रकों से पुलिस द्वारा अवैध वसूली, न्यायिक आदेशों की अवहेलना और भ्रष्टाचार के संगठित ढांचे पर कार्रवाई के लिए निवेदन एसोसिएशन ने किया।

बिहार राज्य के व्यावसायिक ट्रक मालिकों और चालकों के साथ हो रही अवैध वसूली की अत्यधिक गंभीर और चिंताजनक स्थिति है। ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं। विशेष रूप से बालू और गिट्टी का परिवहन करने वाले ट्रक चालकों को पुलिस अधिकारियों द्वारा संगठित रूप से अवैध वसूली का शिकार बनाया जा रहा है। यह अवैध कार्यवाही न केवल राज्य के न्यायिक आदेशों का उल्लंघन करती है, बल्कि आम नागरिकों के संवैधानिक और कानूनी अधिकारों का भी खुला उल्लंघन है। मैं इस बात का कतिपय हिमायती नहीं रहा हूँ कि ओवरलोड और अवैध खनन करने वाले पर कानूनी कार्रवाई न हो लेकिन ऐसे व्यवसायियों को पुलिस की मदद से अवैध शुल्क लेकर सुविधा प्रदान की जाती है और कतिपय व्यवसायी इसका लाभ लेते हैं जिसका मैं घोर विरोध और कानूनी संगत दंड की मांग भी करते हैं। बांका जिला से ओवरलोड चलने वाली सभी ओवरलोड गाड़ियों का परिचालन बिना माइनिंग चालान के चल रहे हैं जिसके कारण भागलपुर समेत बिक्रमशिला पुल पार करते जाती है।

  • कजरैली थाना क्षेत्र में खुले आम अवैध बालू का डंपिंग और लोडिग होता है।
  • अमरपुर रजौन और बांका की ओर से अवैध वालू विना माइनिंग चालान के भागलपुर के रास्ते नवगछिया की ओर पुलिस के संरक्षण में ले जाया जाता है।
  • बांका से पंजवारा सन्हौला होते हुए घोघा प्लांट में सैकड़ों गाड़ियाँ ओभरलोड और विना माईनिंग चालान के खाली हो रही है।
  • जगदीशपुर थाना क्षेत्र में इन्ट्री पासिंग माफिया (जो अवैध गाड़ी से सुविधा शुल्क लेती है।) काफी सकिय है।
  • उपर्युक्त शिकायत का साक्ष्य इस बात की पुष्टि करता है कि कजरैली थाना क्षेत्र में बीते एक माह के दरमियान कई जगहों पर बालू डंपिंग को जप्त किया गया है जो कि प्रर्याप्त नहीं है।
  • बांका जिला से भागलपुर जिला में विना चालान अवैध खनन की बालू परिवहन करने वाले ट्रकों की जाँच के लिए स्थायी जाँच केन्द्र टोल प्लाजा एवं जहान्वी चौक पर बनाया जाय।

ओवरलोड और चालान की धमकी देकर अवैध वसूली की जा रही है। पुलिसकर्मी व्यावसायिक वाहनों के चालकों को ओवरलोडिंग के नाम पर डराते हैं, जबकि यह जांच और प्रवर्तन का काम पूरी तरह से परिवहन और माइनिंग विभाग का है। पुलिस द्वारा इस प्रकार के मामलों में हस्तक्षेप करना न केवल अवैध है, बल्कि उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर भी है।

ट्रक चालकों को धमकाया जाता है कि यदि उन्होंने पुलिस की मांगों का पालन नहीं किया तो उनके ट्रकों को जब्त कर लिया जाएगा या उनके खिलाफ फर्जी मामले दर्ज किए जाएंगे। यह कार्यवाही एक संगठित भ्रष्टाचार की तरह उभरकर सामने आई है, जहाँ ट्रक मालिकों से बड़े पैमाने पर अवैध धन वसूला जा रहा है।

माइनिंग चालान फेल और VLDT GPS

पुलिस द्वारा माइनिंग चालान फेल होने के नाम पर भी अवैध वसूली की जा रही है। जब किसी वाहन का माइनिंग चालान फेल होता है तो माइनिंग की वैधता की जांच VLDT GPS (वाहन लोकेशन टैकिंग डिवाइस) के माध्यम से की जाती है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश के अनुसार, केवल माइनिंग विभाग को ही इस GPS डिवाइस तक पहुंचने और वाहन की वैधता जांचने का अधिकार है, न की पुलिस को।

NGT के आदेशों का उल्लंघन

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि माइनिंग संबंधित मामलों में केवल माइनिंग विभाग ही जांच कर सकता है और VLDT GPS का उपयोग करके ही माइनिंग की वैधता को सत्यापित किया जा सकता है। पुलिसकर्मी NGT के इन आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं और माइनिंग चालान फेल का बहाना बनाकर ट्रक चालकों से अवैध वसूली कर रहे हैं।

पुलिस के अधिकार

पुलिस को केवल उन मामलों में व्यावसायिक वाहनों की जांच करने का अधिकार होता है जब उन्हें कोई सूचना प्राप्त हो कि वाहन के चालक ने कानून का उल्लंघन किया है।किसी प्रकार की दुर्घटना हुई हो जिसमें वाहन शामिल हो। नियमों के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन न किया गया हो।

अवैध वसूली की स्थितिः पुलिस द्वारा अवैध वसूली की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब पुलिसकर्मी व्यावसायिक वाहन चालकों को बिना किसी वैध कारण के रोकते हैं। पुलिस कानून का दुरुपयोग करते हुए चालान फेल होने का डर दिखाते हैं। बिना किसी उचित प्रक्रिया के पैसे की मांग करते हैं।

    बिहार में अवैध वसूली और पुलिस की छविः बिहार में अवैध वसूली की घटनाएँ अब एक सामान्य समस्या बन चुकी हैं, विशेष रूप से माइनिंग से संबंधित गतिविधियों में। हर महीने, विभिन्न जिलों में, जैसे भागलपुर, बक्सर, पटना, वैशाली, और भभुआ, पुलिस थानों के प्रभारी निलंबित होते हैं। यह स्थिति केवल पुलिस की कार्यप्रणाली में कमी को नहीं दर्शाती, बल्कि यह समाज में पुलिस की छवि को भी प्रभावित कर रही है।

      पुलिस की छवि पर प्रभावः इस प्रकार की अवैध गतिविधियाँ न केवल वाहनों के मालिकों के लिए परेशानी का कारण बन रही हैं. बल्कि पुलिस की छवि को भी धूमिल कर रही हैं।

      सामाजिक दृष्टिकोणः जब लोगों को यह अनुभव होता है कि पुलिस अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रही है, तो इसका असर समाज में पुलिस के प्रति विश्वास को कम करता है। इससे यह धारणा बनती है कि पुलिस न केवल अपराध रोकने में विफल है, बल्कि खुद अपराधों में शामिल है। सामाजिक चिंताः बिहार के लोगों के बीच पुलिस की छवि का यह पतन चिंताजनक है। जब थाने के प्रभारी निलंबित होते हैं, तो यह न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए हानिकारक है, बल्कि समाज में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी प्रश्न चिह्न लगाता है।

      अधिकारी की जवाबदेही: जब पुलिसकर्मियों को अवैध वसूली में लिप्त पाया जाता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है, लेकिन यह एक अस्थायी समाधान है। बार-बार निलंबन से यह स्पष्ट होता है कि अवैध वसूली एक प्रणालीगत समस्या है जो सुधार की मांग करती है।

      मुन्ना सिंह बनाम बिहार सरकार (CWJC 2637/2023) का उल्लंघन: पटना उच्ब न्यायालय ने मुन्ना सिंह बनाम बिहार सरकार केस में यह स्पष्ट आदेश दिया था कि टुक मालिकों को 5% जीवीडब्ल्यू (Gross Vehicle Weight) की छूट दी जाए और ट्रकों से अवैध वसूली पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए। इसके बावजूद, पुलिस द्वारा न्यायालय के इन आदेशों की अवमानना की जा रही है।

      आर्थिक तंगीः ट्रक मालिकों और चालकों के लिए यह अवैध वसूली एक भारी आर्थिक बोझ बन चुकी है। कई ट्रक मालिक इस वसूली के कारण अपने व्यवसाय को बंद करने पर मजबूर हो चुके हैं।

      मानसिक तनावः पुलिस द्वारा की जा रही लगातार धमकियों और वसूली के कारण ट्रक चालक मानसिक तनाव में जी रहे हैं। उनके पास न तो कोई वैध अधिकार है और न ही कोई संस्थागत समर्थन, जिससे वे अपनी समस्याओं का समाधान कर सकें। सामाजिक प्रभावः अवैध वसूली के कारण ट्रक मालिकों के परिवार भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। कई परिवार आर्थिक संकट में हैं और उनका जीवन यापन बेहद कठिन हो गया है।

      विशेष घटनाएं और क्षेत्र

      बिहार के सारण, भोजपुर मोतिहारी लखीसराय, मुज्जफरपुर, भागलपुर, रोहतास, कैमूर बक्सर, औरंगाबाद, सहरसा वैशाली, पटना और गया जैसे जिलों में यह अवैध वसूली बेहद सामान्य हो चुकी है। यहाँ पर खनन और परिवहन से जुड़े ट्रक चालकों को प्रतिदिन अवैध रूप से धनराशि देने के लिए मजबूर किया जाता है। पुलिस द्वारा बार-बार यह धमकी दी जाती है कि अगर वे पैसे नहीं देते हैं, तो उनके ट्रकों को खनन विभाग के कानूनों का उल्लंघन करने के आरोप में जब्त कर लिया जाएगा।

      तत्काल कार्रवाई

      अतः, इस अवैध गतिविधि को रोकने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए मैं निम्नलिखित सुझाव प्रस्तुत करता हूं।

      1. निगरानी और नियंत्रण प्रणाली का विकासः ट्रक मालिकों और चालकों के लिए एक निगरानी और शिकायत दर्ज कराने की पारदर्शी प्रणाली विकसित की जाए, जिससे वे अपनी समस्याओं को उच्च अधिकारियों तक पहुँचा सकें।

      2.. न्यायालय के आदेशों का पालनः पटना उच्च न्यायालय के आदेश का सख्ती से पालन किया जाए।

      1. बिहार सरकार के खान एवं भूतत्व मंत्री श्री विजय सिन्हा के आदेश जोकि खनन पदाधिकारी के गैर मौजूदगी में कोई भी पुलिस कर्मी गिटटी और बालू की गाड़ियों की जाँच नहीं करेगी।

      उपरोक्त बिंदुओं से यह स्पष्ट है कि पुलिसकर्मी अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन कर रही है और व्यावसायिक वाहन चालकों से अवैध वसूली कर रहे हैं। अनुरोध किया गया कि, इस मामले की तुरंत जांच की जाए और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसके अलावा, यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में इस प्रकार की अवैध गतिविधियों को रोका जा सके और व्यावसायिक वाहन चालकों को बिना किसी डर के अपना कार्य करने की स्वतंत्रता मिले एवं बांका जिले से भागलपुर जिले में प्रवेश करने वालें सभी अवैध खनन कर विना माइनिंग चालान का परिवहन करने वाले ट्रकों की जाँच सेंटर बायपास टोल टैक्स एवं जहान्वी चौक थाना पर खनन पदाधिकारियों की डयूटी स्थायी करने की कृपा की जाये।

      इस दौरान परभानु शेखर प्रसाद सिंह (प्रदेश अध्यक्ष),
      दीपनारायण सिह दीपक जिला अधयछ, सह प्रदेश सचिव,
      राजा यादव उरृफ फौजी यादव वरीय उपाध्यक्ष, पकज सिंह जिला कार्यकारी अध्यक्ष, आलोक कुमार जिला अध्यक्ष प्रतिनिधि, मुकेश यादव उपाध्यक्ष, राजीव साह उपाध्यक्ष,
      बबलु यादव उपाध्यक्ष, राजेश यादव, पंबन सिंह, डब्बु खान,
      नरेश पंडित सहित कई लोग मौजूद थे।


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      By nit

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