अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
देशभर में एक जुलाई से न्याय केंद्रित तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होने जा रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद पहली बार कानूनों को दंड नहीं बल्कि न्याय केंद्रित किया गया है। नागरिकों को भी इन कानूनों के बारे में जानकारी हो, इसके लिए प्रदेश के सभी थानों में 1 जुलाई को जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। सभी थानों में इसकी तैयारी अंतिम चरण में है। कई थानों में पोस्टर एवं बैनर लगाए गए हैं, जिसमें नए कानूनों को सार गर्भित रूप में प्रस्तुत किया गया है। हालांकि थानों में पहुंचने वाले प्रत्येक नागरिक को अभी से ही नए कानूनों के बारे में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को जानकारी प्रदान की जा रही है।
जनजागरुकता के लिए किया जा रहा प्रचार-प्रसार
पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों के साथ-साथ नागरिक भी नए कानूनों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें, इसके लिए मध्यप्रदेश पुलिस के अधिकृत वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एनिमेशन वीडियो और शॉर्ट फिल्म अपलोड की गई हैं। इसके अलावा प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों के अधिकृत सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी जागरूकता संबंधी पोस्ट की जा रही हैं।
थानों में हो रहे सेमिनार एवं मॉक टेस्ट
पीड़ितों को सुलभ और त्वरित न्याय दिलाने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस ने 60 हजार से अधिक पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है। 302 मास्टर ट्रेनर्स के साथ 31 हजार से अधिक विवेचकों को भी प्रशिक्षण दिया गया है।
पुराने कानूनों के आधार पर विवेचना करते आए अधिकारियों और कर्मचारियों को नए कानूनों से अवगत कराने के लिए प्रशिक्षण शालाओं, सेमिनारों और कार्यशालाओं का आयोजन जोन से लेकर थाना/चौकी स्तर तक किया गया। पुलिस अधिकारी और कर्मचारी अपनी व्यावसायिक दक्षता को और बढ़ा सकें, इसके लिए एफएक्यू और मॉक टेस्ट का आयोजन किया जा रहा है। नए कानूनों के संबंध में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों से प्रश्न-पत्र हल कराए जा रहे हैं। पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी समूह चर्चा कर कानूनों के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।
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