फराज अंसारी, बहराइच (यूपी), NIT; जनपद बहराइच के 39 लाख की जनसंख्या को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का दावा करने वाले जिला अस्पताल का हाल खुद ही बेहाल दिख रहा है। आकस्मिक चिकित्सा के लिए आये मरीजों का उपचार करने के लिए बनीं माइनर ऑपरेशन कक्ष के टूटे दरवाजे और फैली गंदगी मरीजो के लिए खतरे का सबब बन रही है और बेशर्म अधिकारी योगी सरकार के बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के वादे का चीरहरण करते नजर आ रहे हैं।
जब जिले की माइनर ओ.टी. का ये हाल है तो स्वास्थ व्यवस्था कैसी होगी यह सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है। घोर लापरवाही का सारा माजरा आपको समझने में देर नहीं लगेगी। साफ़ सफाई के नाम पर अस्पताल प्रशासन हर महीने लाखों रुपये का गोलमाल तो जरूर करता है लेकिन ओ.टी. का हाल देखकर नहीं लगता कि कभी चिकित्सा व्यवस्था की ये बदरंग तस्वीर सुधरेगी।
माइनर ऑपरेशन कक्ष, एमरजेंसी से चाइल्ड वार्ड तक के टूटे दरवाजे मरीजो में संक्रमण फ़ैलाने के लिए काफी हैं। आपरेशन कक्ष की साफ़ सफाई अति विशेष तरीके से होनी चाहिए जिससे मरीजों में संक्रमण न फैले लेकिन जिला अस्पताल की माइनर ओटी बदहाल है। ऐसे में मरीजों में इंफेक्शन फैलने का प्रबल खतरा बना हुआ है। नियमानुसार माइनर ओटी की साफ़ सफाई के बाद बैक्टीरिया नाशक फार्मोलिंन का छिड़काव कर ओटी को कुछ देर के लिए बन्द करदेना चाहिए जिससे ओटी का स्टरलाइजेशन ठीक से हो सके और बीमारी व संक्रमण फ़ैलाने वाले बैक्टीरिया पूरी तरह से खत्म हो सकें, लेकिन जिला अस्पताल की लापरवाही का आलम यह है कि स्वास्थ्य कर्मी मरीजों की जान से खेल रहे हैं। यही नहीं माइनर ओटी में प्रकाश व्यवस्था भी राम भरोसे है, जिससे प्रकाश की कमी में स्वास्थ्य कर्मियों को टांके लगाते समय भी लोहे के चने चबाने पड़ते हैं।
माइनर ओटी में मानक के अनुसार होने वाली प्रमुख व्यवस्थाएं भी ध्वस्त पड़ी हैं। स्वास्थ्य कर्मियों को जरुरी उपकरण भी मुहैय्या नही कराये गये हैं, जिससे आकस्मिक दुर्घटना में घायल मरीजों का उपचार सुचारू रूप से होना सम्भव नहीं हो पाता है। जिम्मेदार अधिकारी कहने को तो रोज सुबह शाम जिला अस्पताल का निरीक्षण करते हैं, लेकिन इन बड़ी कमियों पर उनका ध्यान क्यों नहीं जाता है यह जांच का विषय है।
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