कैबिनेट मंत्रियों ने एकनाथ खडसे के खिलाफ़ पारित किया निषेध प्रस्ताव, जामनेर नगर परिषद की ओर से अतिक्रमण पर जारी नोटिस को लेकर डीपीडीसी में कोई चर्चा नहीं | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

कैबिनेट मंत्रियों ने एकनाथ खडसे के खिलाफ़ पारित किया निषेध प्रस्ताव, जामनेर नगर परिषद की ओर से अतिक्रमण पर जारी नोटिस को लेकर डीपीडीसी में कोई चर्चा नहीं | New India Times

जलगांव जिला नियोजन समिति (DPDC) की जनरल बैठक में राज्य सरकार के तीनों कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन, गुलाबराव पाटील, अनील पाटील ने एनसीपी नेता एकनाथ खडसे के खिलाफ़ निषेध का प्रस्ताव पारित किया है। प्रस्ताव के समर्थन में मंत्रियों ने दलील दी कि खडसे के कारण जिले में सड़कों के काम नहीं हो पा रहे हैं। खडसे अधिकारियों को ब्लैकमेल करते हैं, विकास के कामों में अडंगा लाते हैं वगैरा वगैरा। DPDC की बैठक में सरकार के मंत्रियों द्वारा विपक्ष के किसी नेता को लेकर कुत्सित भावना से इस प्रकार का नकारात्मक प्रस्ताव पारित कराना राज्य के राजनीतिक इतिहास में पहली घटना होगी। इससे यह पता चलता है कि सूबे की राजनीति में एकनाथ खडसे का कद कितना बड़ा है। बैठक के दौरान हंगामा खड़ा हो और अखबारों को सुर्खियां मिले इसलिए आरटीओ को चुना गया। पिछली बार आबकारी विभाग को लाइन हाजिर किया था। जब यह बैठक हो रही थी तब गिरिश महाजन के गृह नगर जामनेर में नगर परिषद जुग्गी झोपड़ियों और कच्चे दुकानदारों को हटाने के लिए नोटिसेस दे रही थी।

कैबिनेट मंत्रियों ने एकनाथ खडसे के खिलाफ़ पारित किया निषेध प्रस्ताव, जामनेर नगर परिषद की ओर से अतिक्रमण पर जारी नोटिस को लेकर डीपीडीसी में कोई चर्चा नहीं | New India Times

नोटिस मे अतिक्रमियों को 48 घंटे की मोहलत दी गई है। कोई सदस्य DPDC में इसी मामले को मंत्रियों के सामने रख देता तो कितना अच्छा होता। इस मामले पर बहस होती निगम के सीओ को तलब किया जाता प्रशासन की ओर से कलेक्टर जवाब देते, सारी बातें रेकॉर्ड पर दर्ज हो जातीं और हर बार बारिश में गैर कानूनी तरीके से अतिक्रमण निकालने का निगम का कथित खेल खत्म हो जाता। वैसे जामनेर के अतिक्रमण का मसला वहां की जनता की अपनी राजनीतिक सुझबुझ और समझ का नतीजा है। यहां के लोगों ने उनके हक एवं अधिकारों के संरक्षण के लिए राजनीति में विपक्ष को मजबूत करने के बजाये खत्म कर दिया है। शहर के पांच हजार विस्थापित 2006 के बाद से अब तक आत्मबल से हाॅकर्स का अपना एक संगठन भी ठीक से रजिस्टर नहीं करा सके हैं।


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