मानसून सत्र के काम-काज में फजीहत के बाद DPDC में फूटा मंत्रियों का गुस्सा, अवैध शराब बिक्री को लेकर लगाई प्रशासन की क्लास | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

मानसून सत्र के काम-काज में फजीहत के बाद DPDC में फूटा मंत्रियों का गुस्सा, अवैध शराब बिक्री को लेकर लगाई प्रशासन की क्लास | New India Times

मानसून सत्र के काम-काज में फजीहत के बाद DPDC में मंत्रियों का गुस्सा फूट पड़ा है और अवैध शराब बिक्री को लेकर प्रशासन की क्लास लेते हुए कहा कि आपके एसपी को लगाइए फोन, छोटे छोटे बच्चे दस-दस , बारह-बारह साल के बच्चे धड़ल्ले से शराब पी रहे हैं यह सब नहीं चलेगा।

राज्य के कैबिनेट मंत्रियों ने आज जलगांव DPDC (जिला नियोजन समिति) की बैठक में अधिकारियों की जमकर क्लास ली जो कैमरे में रिकॉर्ड की गई है। गुलाबराव पाटील और गिरीश महाजन यह दोनों मंत्री अपने गृह जिले जलगांव पधारे जिसके बाद तत्काल DPDC की बैठक बुलाई गई। कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक समेत अन्य अधिकारियों को तलब किया गया। विधायक मंगेश चव्हाण की शिकायत पर चर्चा के लिए उत्पाद शुल्क विभाग को चुना गया। चव्हाण के मुताबिक चालीसगांव, भडगांव में गैर कानूनी शराब बिक्री के केसेस हैं और अधिकारी दुकानदारों से हफ़्ता लेते हैं वगैरा वगैरा। इस तरह की बैठकें और उनके भीतर सेट किया गया नेरेटिव प्रशासनिक कम और राजनीतिक ज्यादा तब लगने लगता है जब सदन में कानून बनाने वाले जनप्रतिनिधि विधानसभा में जवाब देने के बजाये लोकल मीटिंग में गुस्सा करने लगते हैं। मानसून सत्र में उत्पाद शुल्क विभाग को लेकर विपक्ष की ओर से पूछे गए सवालों का मंत्री शंभूराज देसाई से जबाब देते नहीं बना। अवैध शराब बिक्री पर उत्पाद शुल्क और गृह विभाग में अधिकारों का बंटवारा बिल्कुल साफ़ सुथरा है लेकिन राजनीतिक प्रेशर की कोई जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जा सकती। प्लास्टिक बैग में बिकने वाली भट्टी की जहरीली शराब का साम्राज्य काफी बड़ा है। 2020 की तालाबंदी में इसका इजाद हुआ, अकेले जामनेर शहर में प्लास्टिक बैग (फूगे) की शराब पीने के कारण अब तक लगभग पचास से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसका कोई ठोस आधिकारिक आंकड़ा या तथ्य इस लिए सामने नहीं आ सकता क्योंकि कई मौतें सामान्य बीमारी की वजह बताकर दर्ज ही नहीं कराई गई थीं।

सत्र के कामकाज का सीधा प्रसारण आवश्यक

लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधानपरिषद इन संप्रभु संवैधानिक संस्थाओं का कामकाज देश के हर नागरिक के प्रति समर्पित होता है इसलिए संसदीय कामकाज का जनता के बीच सीधा प्रसारण होना इसलिए आवश्यक है ताकि लीडर मैनेजमेंट जैसी बेतुकी चीजों को जगह न बचे।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading