नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
फर्ज़ कीजिए की कहीं कोई सड़क दुर्घटना हुई या कोई मेडिकल इमरजेंसी आ गई उसमें पीड़ितों को लेकर दौड़ने वाली 108 और निजी एम्बुलेंस उपजिला अस्पताल पहुंचते ही मेन गेट पर फंस गई तो क्या होगा, स्वाभाविक रूप से पीड़ितों को समय पर इलाज नहीं मिलेगा और जिज्ञासा के चलते अनावश्यक रूप से जमा होने वाली भीड़ के भीतर छुपे उपद्रवी तत्वों को हिंसा फैलाने का मौका मिलेगा। हम बात कर रहे हैं जामनेर उपजिला अस्पताल की, यहां बीते 15 दिनों से एक बिजली केबल जोड़ने के लिए खोदा गया गड्ढा MSEB की लापरवाही के कारण मेन गेट के संकरा होने का सबब बना हुआ है।
NIT ने सरकारी अस्पताल के डीन डॉ विनय सोनवने से पूछा तो उन्होंने बताया कि बिजली बोर्ड की ओर से केबल जोड़ने का काम पूरा कर लिया गया है, गड्ढे को भरने को लेकर हमने बोर्ड को कई बार सुचना की लेकिन अमल नहीं किया गया। NIT ने मुख्य गेट का मुआयना किया तो दिखाई देता है कि ठेकेदार ने किस तरह से इंजीनियरिंग के अपने सर्वोत्तम ज्ञान की धज्जियां उड़ा दी है। गेट को किसी भी ओर से खोलो तो दूसरी ओर से प्रवेश बंद हो जाता है यानी मुख्य प्रवेश द्वार हमेशा आधा बंद रहता है।
भीड़ बन रही तनाव का कारण
किसी भी विकसनशील शहर की बेरोजगारी का आंकलन करना है तो पुलिस स्टेशन और मौका ए वारदात पर इकट्ठा होने वाले मॉब को नोटिस करना चाहिए। इसी भीड़ की आड़ में कुछ दिन पहले बस स्टैंड पर एक मुसलमान युवक को घेरकर पीटा गया था। जामनेर समेत जलगांव लोकसभा क्षेत्र के कई तहसीलों में भीड़ का बेवजह जमा होना अफवाहों और संप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देता आ रहा है। भीड़ में योगदान देने वाले बेरोजगारों की फौज उन राजनेताओं की लोकप्रियता और नाकामी का पर्दाफाश करती है जो केवल दक्षिणपंथी विचारों की राजनिति करते हैं।
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