बालू की होम डिलीवरी के सरकारी निर्णय से माफियाओ की बल्ले बल्ले, क्या राजस्व विभाग अवैध बालू डिपो पर करेगा छापामारी?? | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

बालू की होम डिलीवरी के सरकारी निर्णय से माफियाओ की बल्ले बल्ले, क्या राजस्व विभाग अवैध बालू डिपो पर करेगा छापामारी?? | New India Times

मंत्री गिरीश महाजन के गृह नगर जामनेर में राजस्व विभाग की ओर से अवैध बालू ढुलाई करने वाले वाहनों को हिरासत में लेने की कार्रवाई ने जोर पकड़ लिया है। तहसीलदार नानासाहब आगले की ओर से सोशल मीडिया पर जारी प्रेस नोट में बताया गया है कि नेरी बु मे MH 20 CT 9453 डंपर और जामनेर में एक ट्रैक्टर को हिरासत में लिया गया है और Revenue act 1966, धारा 48(7), 48(8) के तहत कार्रवाई की गई है। राजस्व विभाग की ओर से इस प्रकार की कार्रवाई होना कोई नई बात नहीं है लेकिन कुछ बहुत बड़े राजनीतिक दल इसका क्रेडिट लेने के लिए इतना उछल कूद कर रहे हैं की मानो पहली बार इस प्रकार की कोई कार्रवाई हुई है।

बालू की होम डिलीवरी के सरकारी निर्णय से माफियाओ की बल्ले बल्ले, क्या राजस्व विभाग अवैध बालू डिपो पर करेगा छापामारी?? | New India Times

बालू की जमाखोरी: विधानसभा सत्र के दौरान सदन के भीतर और बाहर NCP नेता एकनाथ खडसे द्वारा अवैध खनन और बालू यातायात को लेकर आक्रामक रुख अपनाने के बाद शिंदे-फडणवीस सरकार ने बालू की होम डिलीवरी का निर्णय घोषित किया जिसके चलते महज 600 रुपये प्रति ब्रास से बालू मिलनी है। निर्णय के बाद माफियाओं ने ऑनलाइन मांग सिस्टम पर कब्ज़ा कर लिया और बालू की जमाखोरी आरंभ की। 600 रुपए ब्रास की बालू 2000 रु के दर से होम डिलीवर होने लगी जैसे पहले मिलती थी। इस सिस्टम के ख़िलाफ़ किसी नवजात चमकु ने उफ़ तक नहीं किया।

वहन को लेकर ED सरकार द्वारा लिया गया होम डिलीवरी का निर्णय उनके समर्थकों के लिए नोट छापने की मशीन बन गया है। राज्य के 410 तहसीलों में 300 ऐसे हैं जहाँ बालू और गौण खनिज उत्खनन के बिजनेस से लाखों परिवारों के घर चलते हैं। जामनेर की बात ले लीजिए यहाँ चाय की दुकाने, पान के ठेले, वड़े – पकोड़े, चायनीज बिरयानी बेचने वाले छोटे छोटे दुकान इसके अलावा कोई स्वंय रोजगार नहीं है। MIDC के अभाव से रोजगार का कोई अवसर नहीं है। बीते 30 सालों से यही स्थिति है। जिले में गौण खनिज की जितनी खदानें हैं सारी की सारी उन नेताओं के कब्जे में है जो सत्ता के संरक्षण बिना अपनी खुद की विधानसभा की सीट भी नहीं जीत सकते।


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