सरकार को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद प्रशासन की ओर से जारी है नेताओं का प्रचार प्रसार, सरकारी कामकाज का हवाला देकर कुछ मंत्री विदेश दौरों पर | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

सरकार को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद प्रशासन की ओर से जारी है नेताओं का प्रचार प्रसार, सरकारी कामकाज का हवाला देकर कुछ मंत्री विदेश दौरों पर | New India Times

जून 2023 में शिंदे-फडणवीस सरकार को एक साल पूरा हो जाएगा। हफ्ते भर पहले देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में यह साफ साफ लिखा है कि महाराष्ट्र में बनाई गई एकनाथ शिंदे सरकार गैरकानूनी तरीके से फॉर्म की गई है। उद्धव ठाकरे की ओर से लिस्टेड याचिकाओं पर सुनवाई के बाद अंतिम फैसले में CJI जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 5/0 के बहुमत से शिंदे सरकार को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद सूबे की सत्ता पर कब्जा जमाए बैठे शिवसेना (शिंदे) भाजपा के शैडो मंत्री परिषद द्वारा प्रशासन का गलत इस्तेमाल कर सरकारी तिजोरी से अपनी अपनी पार्टियों का प्रचार प्रसार करने पर जोर दिया जा रहा है। ताबड़तोड़ तरीकों से कई योजनाएं लॉन्च कर उनकी विज्ञापन बाजी के लिए सरकारी धन की बर्बादी की जा रही है। इस असंवैधानिक सरकार में शामिल मंत्री अपने अधीन विभाग के कामकाज का बहाना बनाकर खुद का जन्मदिवस मनाने के लिए सरकारी खर्चे पर विदेश यात्राओं के लिए रवाना हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में दर्ज तथ्यों के आधार पर विधानसभा के स्पीकर को शिंदे समेत अन्य 15 सदस्यों की अपात्रता पर वाजिब समय के भीतर फैसला लेना है। सवाल यह उठते है कि स्पीकर का फैसला आने तक गैरकानूनी तरीके से बनाई गई सरकार कानूनी तौर पर कैसे काम कर सकती है? क्या इस स्थिती को अघोषित गवर्नर रूल माना जाना चाहिए? मंत्रियों की सेवा चाकरी पर किया जा रहा तमाम तरह का खर्च बाद में कैसे रिकवर किया जाएगा? नीतिगत फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं होने के चलते इस सरकार के जरिये जो निर्णय जारी किए जा रहे हैं वह वैध कैसे हो सकते है? गैरकानूनी सरकार मंत्री मंडल विस्तार जैसी अनर्गल बयानबाजी कैसे कर सकती है? इस प्रकार के कई सवाल है जिन्हें शिंदे – फडणवीस के सत्ता में बने रहने की हवस ने अनैतिक ढंग से जन्म दिया है। दूसरी ओर बेमौसमी बारीश से बर्बाद खेती और कपास की बदहाली से प्रदेश का किसान बेहद परेशान है उन्हें किसी भी किस्म की कोई सरकारी सहायता नहीं मिल पा रही है।


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