गोला के ऐतिहासिक चैती के मेले के मंच पर स्थानीय कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन | New India Times

वी.के. त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

गोला के ऐतिहासिक चैती के मेले के मंच पर स्थानीय कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन | New India Times

छोटी काशी के ऐतिहासिक मेला चैती के सांस्कृतिक मंच पर स्थानीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सुरजन लाल वर्मा ने दीप प्रज्जलित कर किया। उक्त अवसर पर विधायक अमन गिरि भी उपस्थिति रहे। आमंत्रित कवि एवं कवित्रियों का माल्यार्पण व शाल्यार्पण कर किया गया उसके उपरान्त आमंत्रित कविगणों द्वारा अपना काव्य पाठ किया।

निर्दोषों का खून बहाते, गरम खून का देखो जोश।
देश तोड़ने के खातिर फूक रहे कैसा जय घोष।।
(अमर फतेहपुरी शास्त्री)
विषम गरल से सृष्टि समूची जब जलने लगती।
तब शंकर को विषपायी बन जाना पड़ता है।।
(सन्त कुमार बाजपेयी सन्त)
कहीं भी रूके या सफर में रहे है।
जहाॅं भी रहे हम खबर में रहे है।।
(संगम गुप्ता संगम)
एम0एस0सी0 हमारे भइया है भौजी हमारी बी0ए0 पास।
वै घर मा कण्डा पाथि रहीं भैया छीलति हैं रोज घास।।
(मिथिलेश शुक्ला विदेह)
चेतन की ऐसी चाल लाॅघें नदियाॅ विशाल, जिसकी गति आगे वायु भी मंद हो गई।
राणा का देख भाल हाथों मे खड्ग ढ़ाल मानो देख मुगलों की सांस बंद हो गई।।
(श्रीकृष्ण तिवारी कृष्णा)
छा रहा कोहरा घना है।
द्वन्द आपस में ठना है।।
(नन्दी लाल निराश)
राष्ट्र पुकार रहा तुमको,
मझधार से पार उतार दे शारदे।
(डा0 सुरेश शुक्ल सन्देश)
हम जुल्म कभी ऐसा गवारा नहीं करते।
खंजर किसी की पीठ पे मारा नही करते।।
(मधुकर शैदाई)
जलाओ दीप खुशियों के उजाला हर तरफ कर दो।
न भूखा फिर कोई सोये, निवाला उस तरफ कर दो।
(कन्हैया सिंह रास)
चैखट पे दूसरों की कभी रो नही सकता, हालात गरीबों के बंया कर नही सकता।
इतना भी खुदगर्ज नही तुझसे कहें ये बिटिया सयानी हो गई दिल देख के फरता।।
(द्वारिका प्रसाद रस्तोगी)
कमल चरण सिर नाऊं मइया, धूप दीप अक्षत ना चन्दन।
केहि बिधि तुम्हें मनाऊं मइया, चरण कमल सिर नाऊं मइया।
(बृजेश तिवारी बृजेश)
तुमने दिल की बात कही थी, सबने वही बात कह डाली।
बात बात में बात बिगाड़ी, और तो और घात कर डाली।
(शिप्रा खरे शुक्ला)
हवाए बोलेगी गुणगान तो तिन्मान बदलेगा, करो आपस मे भाईचारा तो अभिमान बदलेगा।
न होगा जाति का न धर्म का कोई बड़ा झगडा, शहीदों की करो पूजा तो हिन्दूस्तान बदेलगा।।
(पटेल सक्षम वर्मा)
नयी सभ्यता के कुहास में जीवन भूल गये।
विनाशी सारी मारियादायें मन प्रति भूल गये।।
(गेन्दन लाल कनौजिया)
हाॅं तो श्रीमान मेरा मुॅह तुम्हारे कान
मै मंच से बोलूं तु सूनो
मै चुनाव में खड़ा तुम चुनो
(अनंग कुमार वर्मा)
हिन्दी चले कदमो से कदम मिलाकर।
हिन्दी हिन्द मिलकर उतार स्वर्णिम स्वर्ग धरा पर।
(अंकित मौर्य सजग)
वीर शहीदों की फासी पर सारा आलम रोया था।
धरती रोयी अंबर रोया जलता मौसम रोया था।।
(आर0 विश्वनाथ विश्व)
कट्टरता विद्वेष को भोग रहा पाक,
आटा भी मिलता नही निस दिन होते फाॅक।
(श्रीपाल वर्मा)
हिन्दुस्तान मे रहकर जो हिन्दी की भाषा भूल गये,
जाने कितने कुर्वान हुए फांसी के फंदे झूल गये।
(आलोक तिवारी आलोक)
जमाने से शिकायत गर करें भी तो करे कैसे, अरे! खुद में भरे अवगुण छिपाऊॅं मै उन्हे कैसे।
बहुत नजदीक से देखा है हमने जुल्मकारों को, छिपे खादी के पीछे वे गिनाऊं मै उन्हे कैसे।।
(शशिकान्त मिश्र शशि)
कोई खम्भे मे लटका है कोई दीवारों में चपका है।
चुनावी दौर ऐसा हैजो एक लम्बा झटका है।
दावेदार होना तो अधिकार है हम सबका
ताज किसके सिर होगा ये तो जनता के बसका है।
(रामस्वरूप सिंह एड0)
मीठी मुझको मिली झिड़कियां, कडुआ मुझको प्यार मिला है।
अंगणित दीप शिखाओं से निशि अपने घर को नित्य सजाती।
किन्तु सवेरा होते होते दीप श्खिायें सब बुझ जाती।
रह जात है जलता सूरज जिसको निशि का प्यार मिला है।
(कृष्णदत्त शुक्ल)
जिन्दगी बंया है, साथ-साथ इसके मृत्यु का भय है।
सृष्टि का भी एक समय प्रलय हो जाते है।।
(डा0 शिवचन्द प्रसाद)

तमाम उलझन की रस्सियों में है यार देखो बॅधा हुआ दिल।
किसी का चेहरा पसन्द आया, किसी के मन पर फिदा हुआ दिल।। (अभिषेक निष्कर्ष)

ऐतिहासिक मेला चैती 2023 के सांस्कृतिक मंच पर स्थानीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का सफल संचालन डा0 वेद प्रकाश अग्निहोत्री द्वारा किया गया।
इस अवसर पर नगर पालिका परिषद के प्रधान लिपिक राजेश बाजपेयी, सफाई एवं खाद्य निरीक्षक संदीप कुमार वर्मा, नगर पालिका कर्मचारी रामसिंह, अमित श्रीवास्तव, अवधेश कुमार, प्रेमप्रकाश पाठक, करुणाकान्त, रितेश कुमार आदि मौजूद रहे। नगर पालिका के निवर्तमान सभासद आनन्द सोनी, अयूब खां, पंकज गुप्ता, जमाल राईन, सुशील कश्यप, पीयूष मिश्रा, आशीष अवस्थी आदि मौजूद रहे।


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