नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
राज्य विधानसभा का बजट सत्र ठीक उसी प्रकार से ख़त्म किया गया जैसे केंद्र सरकार का बजट सत्र बिना विपक्ष से बहस किए 45 लाख करोड़ रुपए के बजट को मंजूर कर एकतरफा खत्म कर दिया गया। अडानी और मोदी के रिश्ते, हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सवाल पूछने वाले राहुल गांधी को कोर्ट से मुजरिम ठहराकर सदन से निष्कासित कर दिया गया। महाराष्ट्र में किसानों की समस्याओं को लेकर सारा का सारा विपक्ष सरकार से सदन में भिड़ता रहा लेकिन सरकार टस से मस ना हुई। यहाँ स्पीकर विपक्ष के सदस्यों को निलंबित भी नहीं कर सकते थे क्योंकि सरकार और स्पीकर के चयन का मामला शीर्ष अदालत में निर्णय लंबित है। किसी भी प्रकार की विशेषज्ञता, विषय की ज्ञान निपुणता ना होते हुए भी केवल स्वामिनिष्ठा के पैमाने पर शिंदे सरकार में मंत्री बनाए गए सदस्य विपक्ष के सवालों से बचने के लिए सदन से गायब रहे। लोकतंत्र की इस विवेचना का अनुभव करने वाले किसानों ने अब अपने हक के लिए निष्पक्ष तरीके से सड़क पर उतरना पसंद किया है।
ग्रामविकास मंत्री गिरीश महाजन के निर्वाचन क्षेत्र जामनेर के नेरी में कपास उत्पादक किसानों ने सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। हाइवे चौराहे पर लामबंद हुए किसानों ने मांग की है कि कपास को प्रति क्विंटल 12 हजार रुपए दर दिया जाए। खेती को 12 घन्टे बिजली दी जाए, फसल बीमा के लिए सिविल स्कोर की शर्त में ढील दी जाए, फसलों को उचित समर्थन मूल्य मिले। इस आंदोलन का नेतृत्व सभी किसानों ने एक साथ मिलकर किया। यहाँ न तो किराए के घर से आलीशान बंगले में शिफ़्ट हुआ नेता और ना ही दो करोड़ की लक्ज़री कार में घूमने वाला कोई रॉबिनहुड शामिल था।
कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस के कुछ पदाधिकारी किसान होने के नाते इस आंदोलन में नजर आए। दर वृद्धि की उम्मीद में आज भी 60 फीसद कपास किसानों के घरों में पड़ी है। बेमौसमी बारिश से रबी की फसलें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। सरकार से किसानों को अब तक कोई मदद नहीं दी गई है।
त्योहारों के बहाने तनाव
रामनवमी और रमजान के तर्ज पर जिले के कई शहरों में छद्म तत्वों द्वारा धार्मिक तनाव फैलाने की कोशिशें साफ़ देखी जा रही हैं। जामनेर में भी इसी प्रकार के प्रयोग को हवा देने के लिए फर्जी आपसी झड़पों को अंजाम देकर किसी बड़े मक़सद को पूरा करने का बहाना खोजा जा रहा है।
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