पापी पेट का सवाल: बहरूपिया आकाश को आज भी है शासन प्रशासन से कई उम्मीदें, प्राचीन मनोरंजन को वह बना सकता है जन जागरूकता का माध्यम | New India Times

रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:

पापी पेट का सवाल: बहरूपिया आकाश को आज भी है शासन प्रशासन से कई उम्मीदें, प्राचीन मनोरंजन को वह बना सकता है जन जागरूकता का माध्यम | New India Times

सोशल मीडिया के इस युग में जहाँ हर किसी को एक्टिंग का भूत सवार है और फेसबुक इंस्टाग्राम पर अलग अलग तरह के वीडियो अपलोड करता रहता है वही अपने परिवार के भरण पोषण को कुछ कलाकार बहरूपिया बनकर आज भी लोगों का मनोरंजन करते आ रहे हैं।

राजस्थान के नाथद्वारा के समीप छोटे से गांव से बहरूपिया बाबू भाई भट्ट विगत 45 वर्षों से थांदला अंचल में आ रहे हैं। पिछली 15 पीढ़ियों के उनके इस पारंपरिक स्वरूप को अब उनके बेटे आकाश ने बखूबी अपना लिया है।

आकाश आज शिवजी के अवतार में नजर आये और कहने लगे जमाना बदल गया है लेकिन आज भी लोग शिवजी, नारदमुनि, शोले का डाकू गब्बरसिंग, मेरा गांव मेरा देश का जब्बरसिंग, चंद्रकांता का यक्कू, जानी दुश्मन का खूंखार राक्षस, अपंग भिखारी आदि अलग अलग प्रकार के किरदार अपना कर उनके जैसे ही डायलॉग बोलकर जनता का मनोरंजन कर रहे हैं।

उन्हें आज भी केंद्र व राज्य सरकारों से उम्मीद है कि वे शासन की योजनाओं के प्रचार प्रसार में बहरूपियों की कला का लाभ उठाकर न केवल इस लुप्त होती कला को बचा सकती है अपितु जनता में जागरूकता भी ला सकती है।


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