अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हज नीति को लेकर एयरपोर्ट रोड स्थित हज हाउस में आज एक सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवी लोग शामिल हुए। इस दौरान नेशनल हज कमेटी के चेयरमैन एपी अब्दुल्ला कुट्टी भी मौजूद रहे। सेमिनार में इंदौर और भोपाल से मदीना की सीधी उड़ान को लेकर चर्चा की गई। मुख्य रूप से हज कमेटी के चेयरमैन रफत वारसी एवं विधायक आरिफ मसूद एवं सचिव हज कमेटी सैयद शाकिर अली जाफरी मौजूद रहे। देवास जिले से वक्फ कमेटी के अध्यक्ष शाहिद मोदी ने 13 बिंदुओं के सुझाव समक्ष में हज कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुर्रहमान कुट्टी को लिखित रूप में दिए। साथ में एडवोकेट साईम हाशमी भी मौजूद रहे। 70+ आयु वर्ग के हज उम्मीदवारों को आरक्षित श्रेणी में रखा जाना चाहिए और बिना कुर्रा के चयन किया जाना चाहिए। जो लोग पिछले 4 साल से लगातार हज का आवेदन पत्र भर रहे हैं, उन्हें बिना कुर्राह के चुना जाना चाहिए। जो कोऑर्डिनेटर हाजी को जिस फ्लाइट से लेकर जाता है, उसका आवास उसी बिल्डिंग में रखा जाए और उसकी जिम्मेदारी उस फ्लाइट के कोऑर्डिनेटर को ही दी जाए। हज की पवित्र यात्रा के लिए भारतीय हज समिति भोपाल और इंदौर को हज उड़ान के लिए प्रस्थान बिंदु बनाए। हाजी तीर्थयात्री की उड़ानें किराए पर लेने के लिए केवल वैश्विक निविदाएं बुलाई जानी चाहिए। जनवरी 2018 में भारत सरकार और सऊदी अरब सरकार के बीच एक समझौता हुआ था, जिसमें समुद्री मार्ग से हज यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला किया गया था। हज यात्रा को समुद्री मार्ग से फिर से शुरू किया जाना चाहिए। हज यात्रियों की सेवा के लिए गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को भेजा जाए। पिछली बार हज कमेटी ऑफ इंडिया ने हाजियों को जरूरी सामान ले जाने के लिए खुद झोला देने का फैसला किया था और दो थैलों के लिए हाजी से करीब 5500 रुपए जमा करवाए थे, वह मजबूरी खत्म की जाए। हज सेवकों की गाइडलाइन में बदलाव किया जाए। यदि वे अपना कर्तव्य संतोषजनक ढंग से नहीं निभाते हैं, तो हज की रकम की वसूली के साथ-साथ हज सेवकों की सेवा पुस्तिका में गलत प्रविष्टि की जानी चाहिए। उत्कृष्ट कार्य करने वाले हज सेवकों को हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए। बड़ी संख्या में महिलाएं हज करने जाती हैं। हज यात्रियों की सेवा और सहायता के लिए महिलाओं को भी जिला हज कमेटी में पदाधिकारी बनाया जाए। इससे महिलाओं को अपनी समस्याएं साझा करने में आसानी होगी। हज यात्रा पर लगने वाले जीएसटी को भी वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि कोई भी धार्मिक यात्रा टैक्स फ्री होती है।