बस्ते का वज़न कम करने से बच्चों के कंधों का भार तो कम किया जा सकता है पर आर्थिक भार कम नहीं होगा, प्राइवेट कोर्स की पुस्तकों के विक्रय पर भी सरकार करे गौर: हाजी इमरान | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:

बस्ते का वज़न कम करने से बच्चों के कंधों का भार तो कम किया जा सकता है पर आर्थिक भार कम नहीं होगा, प्राइवेट कोर्स की पुस्तकों के विक्रय पर भी सरकार करे गौर: हाजी इमरान | New India Times

मध्यप्रदेश सर्व धर्म सद्भावना मंच के सचिव हाजी मोहम्मद इमरान हारून ने मध्यप्रदेश सरकार के फैसले की सरहना करते हुए कहा कि प्रदेश के समस्त शासकीय, अशासकीय एवं अनुदान प्राप्त शालाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों के बस्ते का वजन कम करने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं जो क़ाबिले तारीफ है।
हाजी इमरान ने मध्यप्रदेश सरकार एवं शिक्षा मंत्री से मांग की है कि बढ़ती महंगाई में शिक्षा को और शिक्षा सामग्री को महंगे दामों में बेचा जा रहा है मध्यप्रदेश सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए। बस्ते का वज़न कम करने से बच्चों के कंधों का भार तो कम किया जा सकता है पर आर्थिक भार कम नही होगा। जगह जगह स्कूलों में महंगे दामों की पुस्तकें चलाई जा रही हैं।जिसका भार उठाना ग़रीबी परिवार के लिए बोझ बनता जा रहा है ।एक एक विषय की कई कई पुस्तकें अलग अलग नाम से चलाई जा रही हैं । सरकार को निजी स्कूलों को सरकारी पाठ्यक्रम की पुस्तकों के चलाने के दिशा निर्देश भी जारी करना चाहिये एक तरफ निजी स्कूलों की फीस का बोझ दूसरी ओर महंगे कोर्स का बोझ बच्चों की शिक्षा में बाधा बना हुआ है और सब पढ़ें सब बढ़ें नारे में बाधा उत्पन्न करता है. अगर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इस ओर ध्यान दिया जाता है तो इससे बच्चों के परिवार का आर्थिक बोझ भी कम होगा और मध्यप्रदेश पाठ्यपुस्तक निगम को भी फायदा जिसकी ओर भी मध्यप्रदेश सरकार को ध्यान देना चाहिये और मध्यप्रदेश पाठ्यक्रम की पुस्तकों की अनिवार्यता निजी पुस्तकों के साथ निजी स्कूलों में भी जारी करना चाहिए जिससे कि ग़रीब परिवार के बच्चों की शिक्षा में बाधा उत्पन्न न हो. दूसरी ओर यदि पहली कक्षा से आठवीं तक कि पुस्तकें अगर सभी सरकारी स्कूलों में ग़रीब बच्चों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए तो बच्चों में शिक्षा के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी मध्यप्रदेश सरकार द्वारा गरीबों के लिए कई योजना चलाई जा रही है जिस में इस निःशुल्क कोर्स योजना को भी शामिल करना शिक्षा के प्रति जागरूकता लाएगी दूसरी और पाठ्यक्रम की पुस्तकें बाज़ारों में उपलब्ध कराने पर भी ध्यान दिया जाए।


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