संदीप तिवारी, ब्यूरो चीफ, पन्ना (मप्र), NIT:
अमानगंज की जनता की वर्षों से मांग है कि आमानगंज अस्पताल को सिविल का दर्जा दिया जाए लेकिन दर्जा नहीं मिला, सैकड़ों गांव के लोगों को आशा है कि आज नहीं तो कल सिविल अस्पताल का दर्जा अमानगंज में मिल ही जाएगा लेकिन समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमानगंज अभी फिलहाल जो भर्रे शाही है उसमें दर्जा जरूर बड़ा समझ में आ रहा है.
जी हां आज सुबह जब पत्रकारों की टीम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमानगंज पहुंची तो वहां पर देखा गया कि 9:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक पर्ची ऑफिस बंद था, इसके बाद मुख्य द्वार से लेकर ऑपरेशन थिएटर तक कालू एवं शेरू आबारा कुत्ते आराम फरमा रहे थे.
एक दीवाल में बड़े ही पैमानों से बड़े बड़े अक्षरों में लिखा गया है कि यहां पर पूछताछ की व्यवस्था 24 घंटों की है परंतु वह भी बंद मिला साथ ही खाली पड़ी कुर्सियां पंखे की हवा लेती नजर आईं जो कैमरों में कैद हुआ. आपको पता हो कि बजली का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, आमजनों को बिजली के भारी भरकम बिल देने पड़ते हैं और पसीना छूट ही जाता है पर सरकारी नौकरों की अफसर शाही देश की जनता और सरकार पर भारी पड़ सकती है. अब देखना होगा कि अस्पताल प्रबंधक द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है ,आगे सुधार होगा या अढाई कोष चाल यूं ही चलती रहेगी???
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