मानसिक रोग की पीड़ा झेलकर जीवन से निराश हुई महिला के जीवन में फिर से आई नई रोशनी | New India Times

पवन परूथी, ग्वालियर (मप्र), NIT:

मानसिक रोग की पीड़ा झेलकर जीवन से निराश हुई महिला के जीवन में फिर से आई नई रोशनी | New India Times

मानसिक रोग से पीड़ित महिला को ठीक होने के बाद उसके परिजन खुशी-खुशी अपने घर ले गए। मानसिक रोग की पीड़ा झेलकर जीवन से निराश हुई महिला के जीवन में फिर नई रोशनी आई है। मानसिक आरोग्यशाला में मानसिक रूप से पीड़ित रोगियों को स्वस्थ होने के पश्चात एक जनवरी से ग्वालियर के जेएएच परिसर में स्थित रैन बसेरा के मानसिक रोगियों (रोग मुक्त जन) के लिये सामाजिक न्याय विभाग द्वारा रखकर उनके स्वास्थ्य एवं रहन-सहन की देखभाल का कार्य लाँग स्टे होम में किया जा रहा है।
ग्वालियर कमिश्नर आशीष सक्सेना की पहल पर सामाजिक न्याय विभाग द्वारा एक जनवरी 2021 से जेएएच परिसर में महिला पुनर्वास गृह लाँग स्टे होम का शुभारंभ किया गया। प्रारंभ में यहाँ पर 15 ऐसे मानसिक रोगी महिलाओं को रखा गया जो उपचार के उपरांत ठीक हो गईं थीं। ठीक होने के पश्चात भी उनके परिजन उन्हें वापस अपने घर लेने नहीं आ रहे थे।
सामाजिक न्याय के संयुक्त संचालक श्री राजीव सिंह एवं उनकी टीम द्वारा निरंतर उनके परिजनों से संपर्क किया जा रहा है। उनकी टीम को पहली सफलता तब मिली जब स्टे होम में निवासरत महिला निवासी गढ़ा तहसील चकनगर जिला इटावा उत्तरप्रदेश के परिजनों में से बड़ी बहन सुमन दीक्षित महिला को लेने ग्वालियर पहुँची और लाँग स्टे होम में अधिकारियों से चर्चा कर अपनी बहन को अपने साथ ले गई।
मानसिक रूप से बीमार महिला ठीक होने के बाद भी अपने घर जाने के लिये व्याकुल थी। जिला प्रशासन की टीम के सार्थक परिणामों से उसे अपने घर जाने का सुख मिला है। इन सभी महिलाओं को उनके निवास तक पहुँचाना और परिजनों से मिलाप कराना महिला पुनर्वास गृह लाँग स्टे होम का पहला मकसद है।
संभागीय आयुक्त श्री सक्सेना ने भी सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों को धन्यवाद दिया और कहा कि उनके प्रयासों से एक महिला को अपना घर पुन: मिला है। आगे भी निरंतर प्रयास कर ऐसी सभी महिलाओं को जो मानसिक रोग से ठीक हो गई हैं उन्हें घर पहुँचाने की पहल और सार्थक प्रयास करते रहें।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading