फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ, बहराइच (यूपी), NIT:
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले का बेसिक शिक्षा विभाग आज कल चर्चा का विषय बन गया है। तीन दिन पहले ही फ़र्ज़ी अभिलेखों के सहारे 6 टीचरों की नौकरी का मामला सामने आया था, वहीं इस कोरोना की महामारी में आज एक सरकारी स्कूल खुल गई और दर्जनों स्कूली बच्चों को स्कूल भी बुला लिया गया। सभी छात्र छात्राएं स्कूल ड्रेस में नजर आए मगर इसकी सूचना पर कवरेज करने पहुंचे पत्रकार पर यहां की शिक्षिका नाराज हो गईं और जबरन कैमरा बन्द करने लगीं। इतना ही नही यह मैडम काफी नाराज हो गईं जो कैमरे में कैद हो गया है।
जी हां श्रावस्ती जिले के बेसिक शिक्षा विभाग की एक अध्यापिका ने तो आज हद ही पर कर दी। कोरोना काल के कारण जहां देश प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों को अग्रिम आदेशो तक बन्द किया गया है लेकिन जनपद में बिना किसी आदेश के ही आज एक सरकारी स्कूल को खोल दिया गया। जहां बच्चे बिना मास्क के शोशल डिस्टेंसिंग भूलकर स्कूल पहुंच गए और मीडिया के कैमरे में कैद हो गए।
स्कूल ड्रेस में यहाँ दर्जनों छात्र छात्राएं एक सरकारी स्कूल में इकट्ठा हुए हैं। दरअसल ये मामला श्रावस्ती जिले के प्राथमिक विद्यालय इमलिया नासिरगंज का है। जहां बुधवार सुबह एक सरकारी स्कूल अचानक से खुल गया इसकी जानकारी मिलते ही हम भी पहुंच गए ये देखने और सब हमारे कैमरे ने कैद कर लिया।
इन मासूम बच्चों पर नजर डालिए और देखिए के किस तरह से ये सभी यूनिफॉर्म पहने स्कूल बिना मास्क लागये ही स्कूल पहुँच गये और सोशल डेस्टीनसिंग की धज्जियां भी उड़ाते दिखाई दिए। सबसे खाश बात ये कि जैसे ही हमने इस नजारे को कैमरे में कैद करना शुरू किया बस क्या था, यहां की प्रधान अध्यापिका काफी बिगड़ गईं और कैमरे पर हाथ मारने लगीं और बौखला गईं। इस तरह से मासूमों की ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ को छुपाने के लिये मीडिया के कैमरे को बन्द करने की कोशिश करने लगी।
अब सवाल ये है कि आखिर मासूम बच्चों की ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ करने का हक़ श्रावस्ती के शिक्षा विभाग को किसने दे दिया। हालांकि कुछ ने बताया के बच्चों को स्कूल में बुलाने का मकसद बच्चों का एकाउंट नंबर लेना बताया जा रहा है जिसमे की मिडडे मील का पैसा भेजा जा सके। इस मामले में जब बीएसए से बात की गई तो उन्होंहे जांच करा कर कार्यवाही की बात कही।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.