मध्यप्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच एवं जनसंपर्क समूह ने किया सीएए विरोधी कार्यकर्ताओं के दमन का विरोध | New India Times

अबरार अहमद खान/मुकीज़ खान, भोपाल (मप्र), NIT:

मध्यप्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच एवं जनसंपर्क समूह ने किया सीएए विरोधी कार्यकर्ताओं के दमन का विरोध | New India Times

स्थानीय शाकिर सदन में मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच एमपीडीआरएफ एवं सीएए आंदोलन के दौरान बने भोपाल जनसंपर्क समूह की ओर से सीएए विरोधी कार्यकर्ता और प्रतिवाद की जनतांत्रिक आवाजों के दमन के खिलाफ प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रतिरोध सभा में मौजूद मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच के साथियों की ओर से एक प्रस्ताव पारित किया गया कि देश और प्रदेश में जहां भी, जिस भी तबके के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन होगा और राजकीय हिंसा द्वारा जनतांत्रिक आवाजों के दमन की कार्रवाई की जाएगी तो वहां मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच और अन्य सभी सहोदर संगठनों के साथ हर तरह से विरोध किया जाएगा और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज बुलंद की जाएगी।

गौरतलब है कि 3 जून को देश के विभिन्न हिस्सों में सीएए विरोधी कार्यकर्ता और अन्य जनतांत्रिक आवाजों को दबाने की जो कोशिश की जा रही है उसके खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किए थे। भोपाल के यह दोनों प्रतिरोध कार्यक्रम में देशव्यापी प्रदर्शन से एकजुटता जाहिर की गई।

नागरिक अधिकारों पर गहरा रहा है संकट
शाकिर सदन में प्रतिरोध सभा की शुरुआत करते हुए भारत ज्ञान विज्ञान समिति की आशा मिश्रा ने कहा कि आज देश में जो माहौल बना दिया गया है उसमें किसी भी तबके के नागरिक अधिकार सुरक्षित नहीं हैं। लॉकडाउन के दौरान भी हमने देखा कि किस तरह गरीब, मजूदर और मेहनतकश तबके के अधिकारों की ओर ध्यान न देकर सरकार ने मनमाने नियम बनाते हुए लोकतांत्रिक आवाजों को दबाने का काम किया है।

आधार वक्तव्य देते हुए अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (AIDWA) की संध्या शैली ने कहा कि देश भर में सीएए-एनआरसी विरोधी कार्यकर्ताओं के जनतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए कई दशकों से संघर्षरत रहे साथियों की गिरफ्तारी की जा रही है और ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि जिसमें किसी भी किस्म के प्रतिरोध को जगह न मिल सके। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि जनतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए हम सभी एकजुट हों और प्रतिरोध के स्वर को कमजोर न पड़ने दें।

अन्य वक्ताओं ने भी अपनी बात कही और राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध से एकजुटता जाहिर करते हुए यह प्रस्ताव पारित किया कि देश और प्रदेश में जहां कहीं भी राजकीय हिंसा या सरकारी दमन की कार्रवाई की जाती है उसके खिलाफ एकजुट संघर्ष किया जाएगा।

मध्यप्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच एवं जनसंपर्क समूह ने किया सीएए विरोधी कार्यकर्ताओं के दमन का विरोध | New India Times

पुलिस के दबाव के बीच किया प्रस्ताव पारित
इस प्रतिरोध सभा के दौरान पुलिस प्रशासन की ओर से सभा को तुरंत बंद करने का दबाव भी बनाया गया। इस दौरान तीन पुलिसकर्मी सभा स्थल पर पहुंचे और मध्य प्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच के साथियों से कहा कि आपने सभा की परमिशन नहीं ली है, इसे तुरंत खत्म करें या फिर आपके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

इस प्रतिरोध सभा में सीपीआई एमएल रेड स्टार के राज्य सचिव विजय कुमार, मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के प्रदेश सचिव सचिन श्रीवास्तव, एडवा की नीना शर्मा, इंसानी बिरादरी के यासिर अंसारी, अब्दुल हक, रोमी रहमान, एका समूह की सीमा कुरुप, परिंदे समूह के लोबजांग, हार्दिक, सुलेमान, फहीम, अली आदि मौजूद थे।

जनसंपर्क समूह ने काली बस्ती में की प्रतिरोध सभा
काली बस्ती में जनसंपर्क समूह की ओर से आयोजित की गई प्रतिरोध सभा में सीएए विरोधी कार्यकर्ताओं पर दमनात्मक कार्रवाई का विरोध करते हुए आगामी दिनों में प्रतिरोध की आवाज को बुलंद करने के लिए व्यापक रणनीति बनाने और मजदूर, किसान, छात्र, नौजवान, महिला, दलित, अल्पसंख्यक एकता बनाते हुए जनता के जरूरी मुद्दों पर काम करने की जरूरत महसूस की गई। इसके लिए लगातार जनता से संवाद और जन मुद्दों पर संघर्ष पर सहमति बनी।

इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि पिछले दो महीनों में दिल्ली पुलिस ने जामिया, जेएनयू, एएमयू के छात्र-छात्राओं समेत सैकड़ों युवाओं को गिरफ्तार किया है। यह दमन सीएए-एनआरसी के खिलाफ उभरे व्यापक विरोध प्रदर्शनों को दंडित करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। स्पष्ट है कि अभी गिरफ्तारियों का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है और इस लंबी सूची में अन्य कई लोकतांत्रिक कार्यकर्ताओं के नाम जोड़े जाने की आशंका है। इस बीच शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ खुलेआम हिंसा भड़काने वाले कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर जैसे लोग बिना किसी कार्यवाही के निर्भीक घूम रहे हैं।

वक्ताओं ने कहा कि साफ है कि सत्तारूढ़ ताकतें, किसी भी सामाजिक आंदोलन के साथ बातचीत करने से इन्कार करते हुए, सभी प्रतिवाद की आवाज़ों को बर्बर राज्य दमन और काले कानूनों के उपयोग से चुप करना चाहती हैं। इससे पहले, भीमा कोरेगांव मामले के बहाने कई लोकतांत्रिक अधिकार कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को गिरफ्तार किया गया है। इसी तरह असम में सीएए-विरोधी कार्यकर्ता अखिल गोगोई को यूएपीए के तहत आरोपित किया गया है, और बिट्टू सोनोवाल, मानस कुंअर, धज्जो कुंअर और कई अन्य आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसे दमन के ज़रिए यह सरकार प्रतिवाद करने वालों का उदाहरण बना कर दूसरों को भी चुप कराना चाहती है। ऐसे में देश के लोगों को इस दमनकारी शासन को एक आवाज़ में चुनौती देनी होगी।

इस सभा में सैफ, दानिश, यासिर, रोमी, युशुफ, शाहीन मिर्जा, डॉ यासिर, शाहिद, औरंगजेब, हस्सान, आसिफ, लोबजांग, हार्दिक, मदीहा, अर्शी, जमा, अमरीन, विजय, अब्दुल्ला, सचिन, बाबर, उजैर, निगहत, शानू, इरशाद आदि मौजूद थे।


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