पतंजलि की सामग्री का कर बहिष्कार कर बाबा रामदेव का जलाया गया पुतला, बिरसा ब्रिगेड द्वारा ज्ञापन सौंप कर एट्रोसिटी एक्ट के अंतर्गत बाबा रामदेव पर मुकदमा दर्ज करने की मांग | New India Times

रहीम शेरानी, अलीराजपुर (मप्र), NIT:

पतंजलि की सामग्री का कर बहिष्कार कर बाबा रामदेव का जलाया गया पुतला, बिरसा ब्रिगेड द्वारा ज्ञापन सौंप कर एट्रोसिटी एक्ट के अंतर्गत बाबा रामदेव पर मुकदमा दर्ज करने की मांग | New India Times

विगत दिनों योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों के लिए कार्य करने वाले सामाजिक रजिस्टर्ड सवैधानिक संगठनों को सार्वजनिक मंच से वैचारिक आतंकवाद बताया था जिसके बाद पूरे देश के बहुजन समाज के सभी संगठनों में रोष व्याप्त है और तब से लेकर आज तक बाबा रामदेव का विरोध जारी है। देश भर के हजारों ब्लॉक, तहसील, कस्बों, मुख्यालयों में बाबा रामदेव के पुतले का दहन कर एट्रोसिटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की जा रही है। इसी कड़ी में आज अलीराजपुर जिला मुख्यालय में भी पूर्व सूचना के अनुसार बस स्टैंड पर बाबा रामदेव का पुतला दहन कर रामदेव मुर्दाबाद के नारे लगाए गए और पतंजलि का बहिष्कार किया। समस्त बहुजन समाज से पतंजलि प्रोडक्ट के उपयोग और विक्रय न करने की अपील की है।
इस दौरान बाबा रामदेव को ढोंगी बाबा बताया। रामदेव द्वारा संचालित पतंजलि पूरी तरह से वनोपज पर आधारित है और सरकार उसे श्रेय देकर राजनीति करवा रही है।
बाबा रामदेव को योग के आड़ में हजारों एकड़ जमीनें देने का काम सरकार कर रही है। आदिवासियों को विस्थापित कर रहे हैं जो गैर संवैधानिक है और हम उसका कड़ा विरोध करते हैं। बाबा रामदेव को किसी भी आदिवासी क्षेत्रों में घुसने नहीं दिया जाएगा ओर काले झंडे से विरोध किया जाएगा।

अलीराजपुर पुलिस कप्तान को ज्ञापन देकर की गई एफआईआर दर्ज करने की मांग

बाबा रामदेव द्वारा एक धार्मिक सभा में आदिवासी, दलित तथा मुस्लिम संगठनों को वैचारिक आंतकवादी कहने को लेकर अलीराजपुर बस स्टैंड पर बाबा रामदेव के पुतले को जलाकर कड़ा विरोध दर्ज किया गया।

बाबा रामदेव के बयान को लेकर सालम सोलंकी द्वारा बताया की तमाम आदिवासी व दलित संगठन डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की विचारधारा को मानते हुए भारतीय संविधान को अपना आदर्श मानकर संवैधानिक दायरे में रहकर समाज की जागृति हेतु कार्य कर रहे हैं। ऐसे में बाबा साहेब व भारतीय संविधान को मनाने वाले को वैचारिक आंतकवादी कहना भारतीय संविधान और पूरे लोकतंत्र का अपमान है।
सुरेश सेमलिया द्वारा बताया गया कि जातिगत भेदभाव और समानता के लिए संघर्ष करने वाले संत इ.वी. रामास्वामी नाईकर “पेरियार” जो कि पूरे दक्षिण भारत में ईश्वरतुल्य पूजनीय हैं ऐसे महान समाज सुधारक का अपमान आदिवासी समाज कभी सहन नहीं कर सकता।
मुकेश रावत ने कहा कि बाबा रामदेव जैसे व्यापारी जिन जड़ी बूटियों को बाज़ार में पतंजलि के नाम से बेच रहै हैं
वह पारंपरिक ज्ञान हमारे आदिवासी पुरखों से ही लिया हुआ है। बरसों से हमारा आदिवासी समाज इन्हीं जड़ी बूटियों से इलाज कर 80 – 90 साल तक जीता है ऐसे आदिवासी समाज के महान पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान की ब्रांडिंग कर गोरखधंधे के माध्यम से करोड़ों कमाकर आदिवासियों को वैचारिक आंतकवादी कहने वाले को आदिवासी माफ नहीं कर सकते। बाबा रामदेव के गैर संवैधानिक बयान के कारण देश के समस्त आदिवासी, दलित व मुस्लिम समाज में आक्रोश है। बाबा रामदेव द्वारा सार्वजनिक मंच से भड़काऊ बयान से आक्रोशित होकर आदिवासी समाज ने बिरसा ब्रिगेड के माध्यम से एसपी विपुल श्रीवास्तव के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व राज्यपाल को ज्ञापन देकर अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के पैरा 1, 2, 3, 5, 6 का उल्लघन मानते हुए तत्काल एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। इस दौरान उन्होंने कार्यवाही ना होने पर देश भर में बाबा रामदेव के खिलाफ उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी।
इस अवसर पर मुकेश रावत, सालम सोलंकी, सुरेश सेमलिया, राजेन्द्र सोलंकी, भुरु मण्डलोई, जितेंद्र, सुनील, राकेश संतोष, शंकर, आनंद सोलंकी, विक्रम कनेश आदि सहित बड़ी संख्या लोग उपस्थित थे।


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