नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
शिखर बैंक घोटाला मामले को लेकर महाराष्ट्र कि देवेंद्र फडणवीस सरकार द्वारा राजनितीक प्रतिशोध कि भावना से निशाना बनाये जा रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया श्री शरद पवार के समर्थन में एनसीपी ने 27 सितंबर को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया था! जलगांव जिले के सभी व्यापारी तथा छोटे दूकानदारों समेत विभिन्न अस्थापनों ने बंद को अच्छा रिस्पांस दिया। लोकतंत्र मे किसी भी निर्वाचन क्षेत्र का वोटर्स कभी भी किसी भी नेता की मिल्कीयत नहीं होता है बावजुद इसके उस इलाके पर पार्टी विशेष के प्रभाव से मतदाता को जोडकरो अपनी स्वामी भक्ती को जनता पर थोपने जैसा प्रोपागैंडा ट्रेंन्ड़ मिडीया लगातार करता रहता है ! इसी मिडीया कि जुबान से गड किला साम्राज्य वर्चस्व जैसे अन्य कयी एकाधिकारवादी शब्दों को गढा और परोसा जाता है। इसी श्रेणी मे भाजपा का गड कहे जाने वाले जामनेर शहर ने इस बंद मे अहम भुमिका निभाकर मिडीया के एकाधिकार वाले प्रोपागैंडा को जवाब देने कि कोशीश की है।
दोपहर 2 बजे तक शहर के सभी मार्केट – व्यापारी संस्थान बंद रहे ! तहसिल के नेरी पालधी तोंडापूर फत्तेपुर इन बडे कसबो मे बंद का मिलाजुला असर दिखाई पड़ा। जामनेर में एनसीपी के युवा जिलाध्यक्ष अभिशेक पाटील, जावेद मुल्ला जी, किशोर पाटील, राजेंद्र पाटील, विनोद माली, हिम्मत राजपुत, डाॅ प्रशांत पाटील, जितेश पाटील, कांग्रेस के शंकर राजपुत, गणेश झालटे समेत पदाधिकारीयो ने बंद का आह्वान किया।
विदीत हो कि शिखर बैंक के 2500 करोड के कथित घोटाले मे हाई कोर्ट के आदेश के बाद नामजद किए गए 70 सर्वदलिय नेताओ कि लिस्ट मे शरद पवार का नाम नहि होने के बावजुद प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) ने अपने अधिकारो का दुरुपयोग कर पवार को प्रभावीत करने कि गतविधी को बढावा दिया ! 21 अक्तूबर 2019 को राज्य विधानसभा के लिए होने जा रहे चुनावो के कुछ दिनो पहले शरद पवार पर कसे गए ED के शिकंजे को जनता के बिच NCP कि बढत को रोकने के लिए भाजपा कि चाल के रुप मे देखा जा रहा है ! कथित घोटाले कि असल रकम पर मनचाहे जिरो लगाकर इसे सदी के सबसे बडे घोटाले कि शक्ल मे जनता के सामने पेश करने कि इमानदार मेहनत मिडीया कर रहा है ! ऐसी हि कडी मशक्कत 2014 मे सिंचायी घोटाले मे भी कि गयी थी जिसमे अजीत पवार पर 70 हजार करोड रुपयो के गबन का आरोप लगाया गया था ! लेकिन इस मामले मे सरकार पर कोर्ट कि तल्ख टीप्पणीयो पर किसी भी माध्यम ने रिपोर्टिंग करना जरुरी नहि समझा ! शरद पवार के वर्तमान मामले मे भी ED – सरकार फ़िर से बैकफ़ुट पर चली गयी है और सुबे कि जन समस्याओ को लेकर प्रादेशीक अस्मिता के सहारे शरद पवार फ्रंट फुट पर है।
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