वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:
ईद-उल-फितर की नमाज़ के साथ ही मुल्क में अमन व अमान की दुआ की गई। ईदगाह के साथ ही सड़कों तक सफ़ें बिछी दिखाई दीं। तपिश के बावजूद मुसल्ला बिछाकर नमाज़ी पूरी शिद्दत के साथ इबादत में मशगूल नज़र आए। नन्हे नमाज़ी भी पूरे जोश के साथ ईद की मुबारकबाद के सिलसिले में ईदगाह तक आए। सबने गले मिलकर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी।
इस दौरान पुलिस प्रशासन की चाक-चौबंद व्यवस्था रही। एसपी पूनम और एसएसपी घनश्याम चौरसिया तथा जिलाधिकारी शैलेन्द्र सिंह खुद व्यवस्थाओं का जायज़ा लेते दिखे और गले मिलकर सभी को ईद की मुबारकबाद दी।
उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी में बड़े ही अकीदत एहतराम व शांतिपूर्ण तरीके से ईद उल फितर की नमाज अदा की गई। नमाज के बाद एक दूसरे से गले मिल कर ईद की मुबारकबाद दीं। आपको बताते चलें कि एक महीने के रोजों के बाद ईद मनाई जाती है। आज प्रातः 8 बजे से 9 बजे तक ईद की नमाज लखीमपुर ईदगाह सहित तमाम ईदगाह व मस्जिदों में अदा की गई। ईदगाह मोहम्मदी में पेशे इमाम मौलाना असजद सिद्दीकी, मस्जिद दरगाह मुराद उल्लाह शाह में मौलाना रजीउल्लाह, मस्जिद दरगाह मोबीन मियां में छम्मन मियां व शुक्लापुर हुसैनिया मस्जिद में इमाम ने ईद की नमाज पढ़ाई। वहीं पूरे क्षेत्र में ईद की नमाज अदा हुई तथा नमाज के बाद मुल्क की तरक्की, अमन और भाईचारे के लिए दुआएं मांगी गईं। ईद की नमाज के मद्देनजर प्रशासन के साथ पुलिस भी मुस्तैद रही तथा पूरे जनपद खीरी क्षेत्र में नगर पालिका प्रशासन की ओर से सभी जगह सफाई व्यवस्था का अच्छा इंतजाम किया गया था। पुलिस प्रशासन की ईद को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका रही। जगह-जगह पुलिस के जवान तैनात नज़र आए।
पूरे जनपद खीरी में निपटी सकुशल ईद की नमाज। सभी ने एक दूसरे को दी ईद की बधाई तथा सेमई व मिठाई खिलाकर एक दूसरे का मुंह मीठा कराया
लखीमपुर खीरी-ईद उल फितर को मीठी ईद के रूप में भी जाना जाता है। हिज़री कैलेंडर के अनुसार दसवें महीने यानी शव्वाल के पहले दिन ये त्योहार दुनिया भर में मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर में ये महीना चांद देखने के साथ शुरू होता है। जब तक चांद नहीं दिखे तब तक रमजान का महीना खत्म नहीं माना जाता। इस तरह रमजान के आखिरी दिन चांद दिख जाने पर अगले दिन ईद मनाई जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन हजरत मुहम्मद मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे।मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितरका उत्सव शुरू हुआ। माना जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इस जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया था, इसी दिन को मीठी ईद या ईद-उल-फितरके रुप में मनाया जाता है।पैगम्बर हजरत मुहम्मद उत्सव मनाने के लिए अल्लाह ने कुरान में पहले से ही 2 सबसे पवित्र दिन बताए हैं। जिन्हें ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा कहा गया है। इस प्रकार ईद मनाने की परंपरा अस्तित्व में आई।
सद्भाव और मदद का पैगाम देता है ये त्योहार
ईद का त्योहार सबको साथ लेकर चलने का संदेश देता है। ईद पर हर मुसलमान चाहे वो आर्थिक रुप से संपन्न हो या न हो, सभी एकसाथ नमाज पढ़ते हैं और एक दूसरे को गले लगाते हैं। इस्लाम में चैरिटी ईद का एक महत्वपूर्ण पहलू है। हर मुसलमान को धन, भोजन और कपड़े के रूप में कुछ न कुछ दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।कुरान में ज़कात अल-फ़ित्र को अनिवार्य बताया गया है। जकात यानी दान को हर मुसलमान का फर्ज कहा गया है। ये गरीबों को दिए जाने वाला दान है। परंपरागत रूप से इसे रमजान के अंत में और लोगों को ईद की नमाज पर जाने से पहले दिया जाता है। मुस्लिम अपनी संपत्ति को पवित्र करने के रूप में अपनी सालाना बचत का एक हिस्सा गरीब या जरूरतमंदों को कर के रूप में देते हैं। विश्व के कुछ मुस्लिम देशों में ज़कात स्वैच्छिक है, वहीं अन्य देशों में यह अनिवार्य है।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts to your email.