मेहलक़ा अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
एमआईएम के ज़िला संयोजक एडवोकेट सोहेल हाशमी ने बताया कि डाॅक्टर फ़रीद क़ाज़ी या अन्य कोई कांग्रेसी या भाजपाई के द्वारा एमआईएम की सदस्यता प्राप्त नहीं की गई है और ना ही सदस्यता हेतु आवेदन किया गया है। सोशल मीडिया और समाचार पत्रों की हलचल को एमआईएम के ज़िम्मेदारों ने अफ़वाह क़रार दिया। एडवोकेट सोहेल हाशमी ने बताया कि वैसे भी एमआईएम में क़ौम और सियासत के डिफ़ाल्टरों और हर चुनाव में पार्टी और ईमान बेचने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है। अपनी हरकतों और पार्टी से गद्दारी की बिना पर विद्वान डाॅक्टर हाशिये पर चले गए हैं। ऐसे लोगों को पार्टी का प्लेटफार्म उपयोग करने की अनुमति हरग़िज़ नहीं दी जा सकती। एडवोकेट सोहेल हाशमी ने बताया कि 2013 में डाॅक्टर फ़रीद क़ाज़ी ने कांग्रेस को छोड़कर एनसीपी से विधानसभा का चुनाव लड़ा था। उस समय कांग्रेस में क्या बुराई थी और चुनाव के बाद कांग्रेस में क्या अच्छाई आ गई जो आपने (डाक्टर क़ाज़ी) कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली और सीनियर कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की आमसभा में स्टेज से आपको भगाने के बाद भी आपने कांग्रेस क्यों नहीं छोड़ी? एमआईएम संयोजक सोहेल हाशमी एडवोकेट ने मांग की है कि इन सब बातों का खुलासा डाक्टर फ़रीद क़ाज़ी के द्वारा बुरहानपुर की जनता के सामने आमसभा के माध्यम से किया जाना चाहिए। एडवोकेट सोहेल हाशमी ने बताया कि एमआईएम नेतृत्व के माध्यम से श्री किरण वाणे को ज़िला इकाई का अध्यक्ष बनाया गया है। डाक्टर क़ाज़ी के संबंध में एडवोकेट सोहेल हाशमी ने चर्चा में अनेक खुलासे और रहस्यों को ज़ाहिर किया है, जिन्हें अनुकूल परिस्थितियों में समय आने पर और समय समय पर जनसाधारण की जानकारी हेतु ज़ाहिर किया जा सकता है।
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