फरधान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाओं का बोलबाला: सादा नोटिस बोर्ड और आकस्मिक सेवा सूचना पट्टिका पर 4 माह से नहीं बदला गया तैनात कर्मचारियों का विवरण | New India Times

वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

फरधान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाओं का बोलबाला: सादा नोटिस बोर्ड और आकस्मिक सेवा सूचना पट्टिका पर 4 माह से नहीं बदला गया तैनात कर्मचारियों का विवरण | New India Times

उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी क्षेत्र के फरधान में जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कहा जाने वाला सरकारी अस्पताल प्राइवेट नर्सिंग होम का रूप लेता जा रहा है। यहां पर तैनात कर्मचारियों की मनमानी का आलम यह है कि मरीजों की सुविधा के लिए लगे नोटिस बोर्ड पर उस चिकित्सक का नाम आज भी लिखा हुआ है जो करीब 4 माह पहले गैर जनपद स्थानांतरित हो चुका है। यही नहीं मरीजों को बाहर से बेरोकटोक दवा लिखे जा सके इसके लिए स्टॉक बोर्ड पर दवाइयों का ब्यौरा भी अपडेट नहीं किया जाता है। क्योंकि मरीजों को वे दवाइयां भी अस्पताल से मुहैया नहीं हो पाती जो स्टॉक में मौजूद होती हैं। अगर स्टॉक बोर्ड पर दवाइयों का ब्यौरा अपडेट किया जाता तो मरीजों को आसानी से पता चल जाता कि कौन सी दवा अस्पताल में मौजूद है और कौन सी नहीं। चार-चार माह तक बोर्ड पर वे सूचनाएं अपडेट नहीं की जाती जिनको दिन में दो बार अपडेट करना चाहिए। डॉक्टर पीके शुक्ला का स्थानांतरण कई माह पहले हो चुका है लेकिन आकस्मिक सेवा सूचना पट्टिका पर अभी तक उनका नाम सबसे ऊपर दर्ज है। अस्पताल में दवाइयों की उपलब्धता और अनुपलब्धता को बताने वाला नोटिस बोर्ड ओपीडी कच्छ के सामने रखा सरकारी नियमों कानूनों को ठेंगा दिखा रहा है।
कहने को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 24 घंटे चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध है लेकिन इसकी हकीकत कैसे से परे है। अस्पताल में चिकित्सक ओपीडी के समय मिलते हैं इसके बाद सब अपने अपने आवास पर चले जाते हैं। मजे की बात तो यह है कि जब इस संबंध में सीएमओ मनोज अग्रवाल से उनके सीयूजी नंबर से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अरे यार कह दो सुधार करवा लो नहीं तो हम ही कह कर बोर्ड सही करवा देंगे।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts to your email.

By nit

This website uses cookies. By continuing to use this site, you accept our use of cookies. 

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading