हनीफ खान, ब्यूरो चीफ, सोनभद्र (यूपी), NIT:
सामाजिक कार्यकर्ता/छात्र नेता विजय शंकर यादव ने संवाददाता को बताया कि आज कल चुनावी दौर में कहीं भी मुद्दा भूख, गरीबी, बेरोजगारी सुनाई नहीं दे रहा है। कहीं नेताओं के विगड़े बोल सुनाई दे रहे हैं तो कहीं चुनावी बचन, कहीं अन्डियर राक्षस राष्ट्रद्रोही तो कहीं 8 लाख सलाना कमाने वाला खुद को बेरोजगर बता कर चुनावी खर्चे के लिए एक सप्ताह में 80 लाख जुटा लेता है तो कही अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह न करने पर बर्खास्त चेहरे सांसद बनने हेतु चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इस देश में चुनांव कभी भी मुद्दों पर नहीं होता। युवा जिनका भविष्य दांव पर है वो दल व जाति विशेष में फंस कर अपने हक की लड़ाई लड़ना ही बन्द कर दिए हैं। आखिर कब तक ऐसे चुनावी दौर से गुजरता रहेगा भारत???
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