मकसूद अली, ब्यूरो चीफ, यवतमाल (महाराष्ट्र), NIT:
“अपने पे भरोसा है तो एक दांव लगा ले” गुजरे जमाने की एक सदाबहार फिल्म का यह गीत नेर शहर में धड़ल्ले से चल रहे मटके के सट्टे पर सटीक बैठता है। 10 रुपये को 950 रुपये बनाने के लालच में लोग अपनी गाढ़ी कमाई गंवा रहे हैं। मटके में बंद 100 नंबर दांव लगाने वालों की किस्मत को खूब दगा भी दे रहे हैं। ऐसा नहीं है कि क्षेत्रीय पुलिस यह सब नहीं जानती लेकिन सट्टे के इस मटके को वर्दी का ही वरदहस्त मिला हुआ है।
कमोडिटी और शेयर मार्केट के बाद आजकल शहर में मटका खूब चर्चित है। शहर के कई हिस्सों बस स्टैंड, स्टेट बैंक के पीछे सावर रोड, पान टपरी, और गलियों में यह धंधा तेजी से फल फूल रहा है। दरअसल इस धंधे की मुख्य जड़ें एक शराब सट्टा मटका किंग नाम से परिचित व्यक्ति ने देहात तक फैलाया है। पुलिस सूत्रों की मानें तो ये शराब सट्टा मटका किंग और कुछ वर्दीधारी इस काम को अंजाम दे रहे हैं। शहर में इनके एजेंट कमीशन पर काम करते हैं। एजेंट शहर में इस धंधे पर कंट्रोल करते हैं। अपने एजेंटों के जरिए वसूली गई पर्ची और पैसे को यह जंत्री तक पहुंचाते हैं। वहां से एक नंबर निकाला जाता है। यह वह नंबर होता है जिस पर ज्यादा लोगों के पैसे नहीं लगे होते। मटके से एक दिन में दो बार नंबर निकाले जाते हैं। इसके लिए एजेंट रात में ओवरटाइम भी करते हैं। धंधे से हुई कमाई का बंदरबाट ईमानदारी से थानों तक होता है इसीलिए लोगों को लाखों का चूना लगाने वाला यह धंधा शहर में अपनी गहरी जड़े जमा चुका है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि शहर में 30 से 40 जगहों पर प्रतिदिन मटके पर करीब 30 से 50 लाख रुपये का दाव लगता है।
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