अशफाक कायमखानी, जयपुर (राजस्थान), NIT:
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मे भाजपा सरकार बनने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख विरोधी दल कांग्रेस जनहित में कोई लम्बा व सकारात्मक आंदोलन करके जनता का ध्यान अपनी तरफ खींच नहीं पाने के अनेक कारण हो सकते हैं लेकिन उन सब कारणों में एक प्रमुख कारण यह है कि कांग्रेस मे जन आंदोलनों से जुड़ें नेताओं की कमी मौजूदा समय में पूरी तरह नजर आ रही है। सड़क पर आकर आंदोलन करके पुलिस की लाठी खाकर जनहित में जेल जाने वाले कार्यकर्ताओं का कांग्रेस में अब जाकर पूरी तरह टोटा दिखाई देने लगा है।
भारत की जनता में एक सवाल बार बार उछालें मारता है कि कांग्रेस मे हार्दिक पटेल, जिगनेश मेवाणी, चंद्रशेखर रावण व अल्पेश ठाकूर जैसे विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष करके सरकार को घुटनों के बल लाने वाले जैसे कार्यकर्ताओं की उत्पत्ति क्यों नहीं हो पा रही है? चाहे कुछ भी कहें लेकिन संघर्ष से लीडर की उत्पत्ति होने के सिद्धांत के अनुसार भारत के उक्त चारों युवा नेताओं ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा देकर संघर्ष की ताकत के बल पर सब कुछ बदलते दिखाया है।
हालांकि सकारात्मक संघर्ष की ताकत के बल पर भारत में पिछले पांच साल में उभर कर आये युवा नेता अल्पेश ठाकूर को गुजरात के विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी ने टिकट देकर चुनाव रणक्षेत्र मे उतारा तो झटके में वो चुनाव जीत कर विधायक बन चुके हैं तो दूसरी तरफ दलित समुदाय में से उभरकर जिगनेश मेवाणी निर्दलीय विधायक बनकर राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे नेता के तौर पर उभर चुके हैं। इसके अलावा युवाओं की घड़कन व संघर्ष की मूर्ति बने हार्दिक पटेल को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने पार्टी मे शामिल करके चुनाव लड़ने का आफर दिया बताते हैं। इसी तरह यूपी में भीम आर्मी नामक संगठन बनाकर चंद्रशेखर रावण ने हक की लड़ाई को आगे बढाकर सरकार के घूटने टिका रहे हैं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी चंद्रशेखर रावण से 13-फरवरी को अस्पताल में मिलकर उसके संघर्ष की खूले तौर पर सराहना की है। बताते हैं कि रावण को कांग्रेस ने चुनाव लड़ने का आफर भी दिया है।
कुल मिलाकर यह है कि भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने वाली कांग्रेस पार्टी के साठ-पैसंठ साल सत्ता में रहने के बावजूद आज उसमें से एक भी हार्दिक, मेवाणी, अल्पेस व चंद्रशेखर रावण जैसे संघंर्षशील युवा क्यों नहीं उभर कर आ रहे हैं जबकि उक्त चारों युवा बिना किसी पावर व सत्ता की मदद के केवल मात्र अपने दम पर अपना संगठन बनाकर जनता की नब्ज टटोल कर सकारात्मक दिशा में आंदोलन चला कर जनता को अपनी तरफ आकर्षित किया है।
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