शेख नसीम, भोपाल (मप्र), NIT:
ऐतिहासिक धरोहरों से एक अलग पहचान बनाने वाले भोपाल शहर की ये धरोहर आज धीरे धीरे ख़त्म हो रही रही है। भोपाल में नवाबों द्वारा बनाई गई इमारतें,किले, कुएं और बावड़ी आज अपनी दुर्दशा पर आसूं बहा रही हैं।
बाग़ फरहत अफ़ज़ा के ऐतिहासिक दरवाज़े को जमींदोज करने के बाद बड़ी मस्ज़िद के पास बने 200 साल पुराने कुएं को आज रहवासियों ने कचराघर बना दिया है। इस ऐतिहासिक कुएं को देखकर ऐसा नहीं लगता कि ये कुआं है बल्कि कचराघर लगता है। इसकी ऐसी दुर्दशा करने में सबसे बड़ा हाथ नगर निगम का है। भोपाल नगर निगम न तो कुओं और बावड़ियों की सफाई कराती है और न ही उनकी मरम्मत कराती है। कोई देखरेख करने वाला भी नहीं हैंऔर न ही उनमें दवा डलवाई जाती है। नगर निगम ने इन कुओं और बावड़ियों को लावारिस हालात में छोड़ दिया है। नगर निगम की ऐसी उदासीनता और लापरवाही की वजह से ये ऐतिहासिक कुआं आज कचराघर बन गया हैं। कुएं के आसपास रहने वाले निवासी कुएं में पॉलीथिन, कपड़े, घर का निकला हुआ कचरा सब्जी के खराब पत्ते, सड़ा हुआ खाने के साथ साथ घरों का गन्दा पानी भी कुएं में डाल कर बीमारियों को निमंत्रण दे रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो धीरे धीरे ये ऐतिहासिक धरोहरें ख़त्म हो जाएंगी और राजधानी भोपाल की पहचान का वजूद भी मिट जाएगा।
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