फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ बहराइच (यूपी), NIT:
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। यहां दबंगों ने तीन लोगों का अपहरण कर उन्हें बंधक बना लिया और फिर बड़े ही बेहरहमी के साथ पिटाई करने के बाद मुंह पर पेशाब कर दिया।
हैवानियत ऐसी की दरिन्दगी को भी शर्म आ जाये। जी हां एक ऐसा ही मामला जिले में सामने आया है जिसमें एक पिता और उसके दो दोस्तों के साथ दबंगों ने इंसानियत को शर्मसार कर अमानवीय यातनायओं की सारी हदें पार कर दी हैं। मिली जानकारी के अनुसार दबंगों ने पहले तो तीनो का अपहरण कर लिया और फिर बंधक बनाकर दरिंदगी की सारी हदें पार करते हुए पहले तो पीड़ितों को निर्वस्त्र कर बेल्टों और डंडों से पीटा और जब इतने से भी उन हैवानों का दिल नहीं भरा तो पीड़ितों के मुह में पेशाब तक कर दिया गया। बताते चलें कि दिल को दहला देने वाली ये घटना जिले की कोतवाली देहात इलाके की है। पीड़ितों की माने तो दबंग उनकी ह्त्या करने की योजना बना चुके थे लेकिन चीख पुकार की आवाज़ सुनकर किसी राहगीर ने पुलिस को सुचना दे दी तो मौके पर पहुची पुलिस ने पीड़ितों को वहां से मुक्त करा के अस्पताल में भर्ती करवा दिया है और मामले की जांच में जुट गई है। लेकिन अमानवी यातनाओं का शिकार हुए तीनो पीड़ितों को भले ही मरणासन स्थिति में उपचार के लिये पुलिस ने जिला चिकित्सालय में भर्ती करा दिया हो परन्तु यहां भी उन बेचारों की पीड़ा कम न हो सकीं और तकरीबन चार घण्टों तक तीनो पीड़ित इलाज के लिये तड़पते रहे तरसते थे लेकिन उनका दर्द किसी को नहीं दिखा। हालांकि डॉक्टर से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि दो खतरे से बाहर हैं जबकि एक की हालत थोड़ी गम्भीर है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस पीड़ित को डॉक्टर साहब ने गम्भीर बताया वह जिला अस्पताल के इमरजेन्सी वार्ड की ओटी के बाहर कूड़े की ढेर की तरह एक किनारे स्ट्रेचर पर ही डाल दिया गया जिसे कोई पूछने वाला तक नहीं था।
कोतवाली देहात इलाके के रायपुर राजा निवासी अजय कुमार त्रिपाठी ने बताया कि उनकी 14 वर्षीय नाबालिग बेटी को 4 महीने पहले दबंग भगा ले गये थे। बाद में आरोपी ने जबरन उसकी नाबालिग पुत्री से शादी कर ली थी जिसकी शिकायत करना पीड़ित पिता और उसके दो दोस्तों पर कहर बन कर टूटा। पीड़ित का आरोप है कि दबंग लगातार मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाते आ रहे थे लेकिन न मानने पर ऐसी अमानवीय यातनाएं दे डाली जिसने इंसानियत को ही शर्मसार कर दिया। पीड़ित ने आरोप लगाया है कि जब वह अपने दो दोस्तों लतीफ और राकेश के साथ मेला देखने जा रहे तभी अचानक दबंगों ने उनका उनके दोस्तों संग अपहरण कर घर में बंधक बना लिया और निर्वस्त्र कर उन्हें बेरहमी से पीटा। पीड़ित बताते हैं कि हैवानों की हैवानियत सिर्फ यहीं तक नहीं रही बल्कि दबंगों की पिटाई से मरणासन्न हुए पीड़ितों के मुंह में पेशाब तक किया गया। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस तरह से बदमाशों ने हैवानियत का नंगा नाच किया। यही नही पीड़ितों की मानें तो दबंग उनकी हत्या की साज़िश रच चुके थे कि तभी अचानक मौके पर पुलिस ने पहुंच कर उन्हें मुक्त करवा लिया और उनकी जान बचा ली। इस मामले में कोतवाली देहात पुलिस ने पीड़ित अजय तिवारी पुत्र राकेश कुमार तिवारी के प्रार्थना पत्र पर अभियोग संख्या 448/18 धारा 308/323/504/506 भा0द0वि0 के तहत आरोपी रिंकू तिवारी, ओंकार मिश्र, ननके मिश्र व राजू के लड़के के विरुद्ध पंजीकृत कर जांच में जुट गई है। अपर पुलिस अधीक्षक नगर अजय प्रताप ने बताया की विवेचना में जो भी दोषी मिलेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी।
बताते चलें कि पीड़ितों की चीख पुकार सुन किसी राहगीर ने पुलिस को सूचना दी थी। सूचना मिलते ही गौरव ग्रोवर पुलिस ने बिना लेट किये ही घटना स्थल पर धावा बोल दिये, पुलिस को देख अपराधी मौके से फरार हो गये। पुलिस ने तीनों पीड़ितों को मरणासन अवस्था में बिना समय गंवाए ही पीड़ितों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन इसे जिला अस्पताल की अव्यवस्तहों और लापरवाहीयों का हिस्सा कहें या सेटिंग गेटिंग का खेल या फिर जिम्मेदारों की गैर जिम्मेदारी कि हैवानों की हैवानियत का शिकार हुए पीड़ितों की पीड़ा बढ़ाने में जिला अस्पताल में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने भी चार चांद लगा दिया। शाम करीब 7:30 पर जिला अस्पताल पहुंचाए गये पीड़ित अपनी पीड़ा से करीब 11:30 तक कराहते चिल्लाते रहे लेकिन अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों ने करीब चार घण्टे तक बिना इलाज किये ही एक को ओटी के बाहर जबकि दो को ओटी के अंदर स्ट्रेचर पर ही कूड़े की ढेर की तरह डाले रखा। आपको यह भी बताते चलें कि इस दौरान जिला अस्पताल की बदहाल व्यव्यस्थाओं का कायाकल्प करने के बड़े-बड़े दावे करने वाले मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर डी0के0 सिंह भी इमरजेन्सी वार्ड पहुंचे लेकिन उन्होंने भी दरिन्दगी के शिकार इन पीड़ितों का उपचार शुरू कराने की जहमत उठाना शायद मुनासिब नहीं समझा।
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