"सभी रहमान वाले हैं सभी भगवान वाले हैं, होश में रहना दुश्मन हम हिंदुस्तान वाले हैं": मेघनगर के मेघेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में उत्सव समिति के तत्वाधान में शरद पूर्णिमा की रात हुआ कवि सम्मेलन का आयोजन | New India Times

रहीम शेरानी हिंदुस्तानी, ब्यूरो चीफ झाबुआ (मप्र), NIT:

"सभी रहमान वाले हैं सभी भगवान वाले हैं, होश में रहना दुश्मन हम हिंदुस्तान वाले हैं": मेघनगर के मेघेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में उत्सव समिति के तत्वाधान में शरद पूर्णिमा की रात हुआ कवि सम्मेलन का आयोजन | New India Times

झाबुआ जिले के मेघनगर के अति प्राचीन मेघेश्वर महादेव मंदिर शंकर मंदिर प्रांगण में उत्सव समिति के तत्वाधान में शरद पूर्णिमा की रात कविता की ऐसी महफिल जमी की देर रात तक रसिक श्वेता कविरस मे डटे रहे। महंत बद्री दास जी महाराज के संरक्षण में कवि सम्मेलन का श्री गणेश मां शारदे के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर हुआ। कार्यक्रम मे बतौर अतिथि के रुप मे लोकप्रिय समाजसेवी आदरणीय सुरेश चंद जैन (पप्पू भैया) श्रीमती सीमा जैन, पुत्र जैकी जैन, समाजसेवी प्रेम भाबर, श्रीमती सुशीला भाबर, समाज सेविका श्रीमती प्रेमलता भट्ट, वरिष्ठ नेता पुरुषोत्तम प्रजापति, समाजसेवी विनोद बाफना, भारती पत्रकार संघ के प्रदेश संयोजक हाजी जनाब सलीम शैरानी, पत्रकार रहीम शेरानी हिंदुस्तानी, अलि असगर बोहरा, फारुख शेरानी, दशरथ कट्टा, भूपेंद्र बरमंडलिया, रोटरी क्लब के भरत मिस्त्री, महेश प्रजापत, मांगीलाल नायक, डॉ किशोर नायक, जयंत सिंगल, आदी की उपस्थित व उत्सव समिति के अध्यक्ष निलेश भानपुरीया, सहित तमाम समिति के सदस्यों ने कवियों व अतिथियो का स्वागत सत्कार किया गया।

राजधानी भोपाल से पधारी कवित्री संगीता सरल की शारदे वंदना मुझको नवल उत्थान दो मां शारदे मुझको वरदान दो मां शारदे से कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई। अपने गीत गजल व तुझको से अपना अच्छा प्रभाव छोड़ा अपनी कविता अपने सपने हुए साकार मुझे हो गया हे प्यार मेरा दिल ले गया है थानेदार, पर अच्छी वाह वाही मिली ! मालवी हास्य कवि भारत सिंह गुर्जर व बेटमा के संजय खत्री, ने हंसा हंसा कर लोट पोट कर दिया नेत्र हीन कवि अकबर ताज ने कौमी एकता का संदेश इन पंक्तियों से दिया सभी रहमान वाले हैं सभी भगवान वाले हैं सुनो दुश्मन होश में रहना हम हिंदुस्तान वाले हैं। खूब सराही गई ! कवि सम्मेलन के संयोजक कवि नरेंद्र अटल महेश्वर ने शहीद की बेटी का दर्द इन पंक्तियों में बताया कहां हो पापा आओ अब मैं अपने पैरों पर खड़ी हो गई हु और अब मैं बड़ी हो गई हूं ! इस कविता से अटल ने सभी की आंखें नम कर दी और वह भी भावुक हो गए ! इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नगर के राष्ट्रीय कवि निसार पठान रंभापुरी ने तिरंगे में लिपटकर क्यों पापा आए हैं व गौ हत्या पर कब तक मौन रहोगे से श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी, आपने कहा पूरी हुई वह मन्नत लगता है घर साथ में जन्नत लगता है ! हास्य कवि जानी बैरागी ने भी बेबाकी शैली में खूब गुदगुदाया, आभार निलेश भानपुरीया, ने माना ! कवि सम्मेलन को सफल बनाने में मुख्य भूमिका निलेश मोटा भाई सोनी की रही उत्सव समिति के तमाम मेंबरानस का सहयोग सराहनीय रहा। चांदनी रात में संपन्न कवि सम्मेलन सभी साहित्य प्रेमियों के दिल पर अमिट छाप छोड़ गया। कवि सम्मेलन को सुनने के लिए दूरदराज से राशिक कवि प्रेमी आए उत्सव समिति द्वारा आयोजित प्रथम कवि सम्मेलन सफलता की श्रेणी में चार चांद लगा गया ! देर रात्रि तक डटे रहे श्वेता।


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