फराज अंसारी, बहराइच (यूपी), NIT;
आपूर्ति विभाग द्वारा कथित खाद्यान्न घोटाले को लेकर जिले के तीन कोटेदारों तथा एक डाटा आपरेटर के विरुद्ध लिखाई गयी है जिसका खामियाजा हजारों गरीब राशन कार्ड धारक परिवारों को भुगतना पड़ रहा है।
एफआईआर वापसी की मांग को लेकर कोटेदारों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है जिसके कारण सितम्बर माह में रियायती मूल्य पर मिलने वाला एक भी दाना खाद्यान्न गरीबों को नही मिल सका है इसी के साथ यह भी पता चला है कि आपूर्ति कार्यालय में कार्य करने वाले डाटा आपरेटर भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं, जिसका नतीजा यह निकला है कि पूर्ति कार्यालय में आधार एवं अन्य सूचनाएं फीड करने का काम भी पूरी तरह ठप पड़ गया है। आपूर्ति विभाग एवं जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की आंखे बन्द होने के कारण गरीब राशन कार्ड धारक परिवार कोटेदार एवं आपूर्ति विभाग का चक्कर काट रहे हैं। जिन्हें पहले यह बताया गया था कि धैर्य रखें दस सितंबर से खाद्यान्न वितरण शुरू होगा। 10 सितम्बर कौन कहे आज 13 सितम्बर हो चुकी है कोटे की दुकानों पर ताले लटक रहे हैं और आपूर्ति विभाग के निरीक्षक और अधिकारी चैन की बंशी बजा रहे हैं।
एक कोटेदार ने बताया कि यह हड़ताल आल इंडिया फेयर प्राइज शॉप डीलर फेडरेशन उत्तर प्रदेश के आवाहन पर की जा रही है। उसने बताया कि आपूर्ति विभाग में अंधेरगर्दी व्याप्त है । ई पास मशीन का पूरा सिस्टम आपूर्ति विभाग के अफसरों के नियन्त्रण में है । गोदाम से खाद्यान्न की उठान स्टॉक रजिस्टर में खाद्यान्न की इंट्री तथा खाद्यान्न वितरण सभी कुछ अफसरों की निगरानी में होता है । कोटे की दुकानों का पासवर्ड और यूजर आई डी आपूर्ति निरीक्षकों तथा जिला पूर्ति अधिकारी के पास रहता है । कम्प्यूटर आपरेटर भी हर निरीक्षक के साथ तकनीकी रूप से सम्बद्ध रहता है । ऐसे में अफसरों की मिलीभगत के बिना खाद्यान्न घोटाला सम्भव ही नही है परन्तु आपूर्ति निरीक्षकों और आपूर्ति विभाग को बरी करते हुए कोटेदार एवं आपरेटर के विरुद्ध एकतरफा कार्यवाई से रोष है ।
कोटेदारों द्वारा की जा रही असंवैधानिक अनिश्चितकालीन हड़ताल का खामियाजा उन गरीब परिवारों को भुगतना पड़ रहा है जिन्हें सरकार दो रुपये किलो गेहूं तीन रुपये किलो चावल तथा रियायती मूल्य पर केरोसिन उपलब्ध कराती है । लगभग दो सप्ताह से चल रही हड़ताल के कारण गरीब परिवारों के समक्ष भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है यदि यही स्थिति जारी रही तो गरीब परिवारों को कुपोषण की जद में आने से बचाया नही जा सकता।
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