नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

महाराष्ट्र में निकाय चुनावों के लिए चार महीने से कम समय बचा है। 2014 से अब तक 9 लाख 34 हजार करोड़ रुपए के कर्ज़ में डुबो दिए गए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सरकार ने निकाय चुनावों में बीजेपी के प्रचार के लिए विश्व बैंक के पास गिरवी रखी सरकारी तिज़ोरी के कलपुर्जों को नीलामी के लिए बाज़ार में खड़ा कर दिया है। महायुति सरकार प्रदेश के हर ब्लॉक मुख्यमंत्री सहायता विंग की ओर से आरोग्य जांच शिविर का आयोजन करवा रही है।
2014-25 के बीच बीजेपी सरकार ने अपनी पार्टी के लोकप्रियता के लिए सरकारी तिज़ोरी से तीन हजार करोड़ रुपए खर्च कर दिए है। गैर बीजेपी सरकारों के समय भी जनता तक पहुंचने के लिए सत्ता में शामिल कांग्रेस और उसके सहयोगी दल इस तरह के प्रचार अभियान चलाते थे लेकिन उनका बजट काफ़ी कम हुआ करता था। जब सरकार के अलग अलग महकमे अपने बजट का पैसा राजनीतिक पार्टियों की लोकप्रियता को बढ़ाने में फूंकते है तब सरकार की नाकामी खुलकर सामने आती है।
फडणवीस सरकार के मंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्रो में शिक्षा रोजगार आरोग्य की परिस्थिति बेहद गंभीर है। गिरीश महाजन के जामनेर उपजिला अस्पताल में पिछले दो साल से महिला विशेषज्ञ नहीं होने के कारण गांव खेड़ों की गरीब गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए जलगांव सरकारी अस्पताल भेजना पड़ता है। किसी भी बात को लेकर टीवी पर बयान देने वाले मंत्री आपदा में अवसर खोजते रहते है ऐसे मंत्रियों की वैचारिक क्षमता और विवेक को कैसे जवाब देना है इसे सोशल मीडिया के ट्रोलर्स बख़ूबी जानते हैं।
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