60 घंटे बाद अनशनकारियों के धरना स्थल पर पहुंचा प्रशासन,एसडीएम लखनादौन ने भूख हड़ताल और धरने पर बैठे लोगों से धरना आंदोलन समाप्त करने का किया आग्रह | New India Times

पीयूष मिश्रा/ अश्वनी मिश्रा, सिवनी (मप्र), NIT; ​60 घंटे बाद अनशनकारियों के धरना स्थल पर पहुंचा प्रशासन,एसडीएम लखनादौन ने भूख हड़ताल और धरने पर बैठे लोगों से धरना आंदोलन समाप्त करने का किया आग्रह | New India Timesपिछले 3 दिनों से ग्राम पंचायत छपारा के उप सरपंच और पंच गणों के द्वारा जारी भूख हड़ताल तथा अनशन और धरना प्रदर्शन मामले को लेकर आज देर शाम लखनादौन SDM अंकुर मेश्राम और छपारा तहसीलदार क्षमा श्रॉफ सहित जनपद पंचायत छपारा की सीईओ शिवानी मिश्रा अनशनकारियों के धरना स्थल पर पहुंचे और लखनादौन एसडीएम ने भूख हड़ताल पर बैठे हुए उपसरपंच तथा पंच गणों से अपना अनशन वापस लेने का आग्रह किया।

कोर्ट में जारी है सुनवाई जल्द होगा फैसला: एसडीएम लखनादौन

छपारा ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार और 17 लाख 15 हजार रुपए गबन के मामले में लखनादौन SDM अंकुर मेश्राम ने बताया कि जिला पंचायत सिवनी कोर्ट में मामला चल रहा है और दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया गया है, जिसके चलते सुनवाई में थोड़ा विलंब हो रहा है। लखनादौन SDM अंकुर मेश्राम ने बताया कि आज वे धरना स्थल पर पहुंचे थे और उन्होंने सारी वस्तुस्थिति से अनशनकारियों को अवगत करा दिया है तथा अपना धरना और भूख हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया है। ​60 घंटे बाद अनशनकारियों के धरना स्थल पर पहुंचा प्रशासन,एसडीएम लखनादौन ने भूख हड़ताल और धरने पर बैठे लोगों से धरना आंदोलन समाप्त करने का किया आग्रह | New India Timesछपारा जनपद कार्यालय के सामने धरने पर बैठे हुए अनशनकारियों ने कहा है की जब तक दोषी सरपंच और सचिव के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हो जाती है तब तक वे आमरण अनशन और धरने पर बैठे रहेंगे। आज देर शाम लखनादौन SDM तथा छपारा तहसीलदार और जनपद पंचायत की सीईओ धरना स्थल पर पहुंचे थे और उन्होंने शासन प्रशासन की ओर से अपनी बात अनशनकारियों के समक्ष रख दी है लेकिन अनशनकारी इस बात पर अड़े हुए हैं कि जब तक छपारा ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती पूनम संयम और सचिव प्रकाश भलावी के ऊपर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो जाती है तब तक वे भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन पर डटे रहेंगे। बरहाल 60 घंटे बाद और भूख हड़ताल के तीसरे दिन अनशनकारियों की सेहत बिगड़ती जा रही है। अब देखना यह है कि शासन प्रशासन कब और कैसी कार्यवाही तय कर पाते हैं?


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