पीयूष मिश्रा, सिवनी (मप्र), NIT; ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवम द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज को पिछले कुछ वर्षों से चल रहे ज्योतिष्पीठ विवाद पर माननीय उच्च न्यायालय ने बद्रिकाश्रम ज्योतिष्पीठ को रिक्त घोषित किया था जिस पर भारत धर्म महामंडल ने सर्वसम्मति से ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम का भी शंकराचार्य चुन लिया है। इस पीठ को भरने का दायित्व धार्मिक संस्थाओ को सौपा गया था भारत धर्म महामण्डल के सभी ने सर्वसम्मति से ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य के रूप में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को चुना गया है,श्री भारत धर्म महामण्डल वाराणसी की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि तीनों पीठों के शंकराचार्य,विद्वानों,पंडितों,सन्यासियों, ने सर्वसम्मति से स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को चुनने का निर्णय लिया है।
भारत धर्म महामण्डल के उपाध्यक्ष शशिनन्दन लाल दर की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि 1973 में भी स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को शंकराचार्य बनाया गया था वही दूसरी ओर वासुदेवानंद ने भी ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य पद पर अपना दावा किया था विवाद को बढ़ता देख इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनवाई के बाद इस पद को रिक्त घोषित किया था।भारत धर्म महामण्डल की घोषणा के बाद शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के शिष्यों में हर्षोल्लास का वातावरण व्याप्त हो गया।
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