अबरार अहमद खान, भोपाल, NIT; आर्थिक रूप से कमजोर ऑटो चालक मोहसिन के घर काफी मिन्नतों के बाद बेटे का जन्म बेशुमार खुशियाँ लेकर आया। मगर ये खुशियाँ ज्यादा दिन कायम न रह सकीं। नवाज को जन्म से ही सर्दी-खांसी के साथ बढ़ती शारीरिक कमजोरी ने जकड़ लिया था। इस कारण उसका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा था। ऐसी स्थिति में चिकित्सकों को दिखाने पर पता चला कि बच्चे को हृदय के कपाट से जुड़ी जन्मजात बीमारी व्हीएसडी एवं एएसडी है।
ऐसी नाजुक घड़ी में शासन की जीवनदायिनी बाल हृदय उपचार योजना चार माह के नवाज के लिये वरदान साबित हुई। आज नवाज बिल्कुल ठीक है। माता पिता के चेहरों पर बच्चे के ठीक होने की खुशी साफ देखी जा सकती है। श्री मोहसिन बताते हैं कि नवाज को विशेष किस्म के बैक्टीरिया से फेफड़े में संक्रमण होने के कारण जुकाम और शारीरिक परेशानी बनी रहती थी। डॉक्टरों ने स्वास्थ्य लाभ के लिए ऑपरेशन कराने की सलाह के साथ लगभग 2 लाख रूपये का खर्च बताया था। हम इस स्थिति में नहीं थे कि नवाज का इलाज करा सकें। परिवार के सभी लोग कभी भी किसी किस्म की अनहोनी की आशंका से हमेशा परेशान रहते थे। सहसा एक दिन जिला चिकित्सालय की डीआईसी इकाई में दिल की बीमारी से जूझ रहे बच्चों के निदान के लिए विशेष शिविर की जानकारी मिली। शिविर में नागपुर से आए विशेषज्ञों ने बच्चे का प्रारंभिक स्वास्थ्य परीक्षण किया तथा सरकार के सहयोग से पूर्णतः निःशुल्क सेवा देने की बात कही। मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना हमारे परिवार के लिये वरदान बनकर आई है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बजाज बताते हैं कि बाल हृदय उपचार योजना दिल से जुड़ी बीमारी से पीड़ित बच्चों और उनके अभिभावकों के जीवन में जिंदगी का संचार करने में बेहद अहम साबित हो रही है। वर्ष 2011 से आरंभ मुख्यमंत्री बाल हृदय उपचार योजना से अभी तक मात्र दो करोड़ खर्च कर 184 बच्चों के ऑपरेशन कराये जा चुके हैं।
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