नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

2014 के बाद से नरेन्द्र मोदी जी ने भारत में भाषण युग आरंभ किया। भाजपा शासित राज्यों में इसे कॉपी पेस्ट किया गया। महंगाई , बेरोजगारी , GST , वित्तीय कुप्रबंधन , बदहाल कानून व्यवस्था , महिला अत्याचार , आरक्षण , जातिगत जनगणना को लेकर मैनेज किए गए साक्षात्कारों में गोदी चैनल्स मंत्रियों से एक भी सवाल नहीं पूछते। स्टूडियों में बैठे दबंग नेता परस्पर विरोधी कीचड़बाजी के दौरान चुनाव से जुड़े कुछ ऐसे दावे कर देते है जिनकी पड़ताल करना जरूरी हो जाती है। एक दावा यह कि नेताजी अपनी सीट से चुनाव का नामांकन दाखिल कर के दूसरी सीटों पर प्रचार के लिए निकल जाते है। महाराष्ट्र के 288 विधानसभा सीटों में केवल 30 सीटें ऐसी है जिनके नेता दूसरे प्रत्याशियों के प्रचार के लिए महीनों फील्ड पर रहते हैं।

इस प्रतिष्ठा में पश्चिम महाराष्ट्र के नेता सबसे आगे है। इसके विपरीत उत्तर महाराष्ट्र के पांच पांच बार के विधायक होने का गर्व ठेलने वाले मिया मिठ्ठू चुनाव के समय पूरा महीना खुद का निर्वाचन क्षेत्र एक दिन के लिए भी कार्यकर्ताओं के भरोसे नहीं छोड़ते है। बाहरी नेता सभा मे दंभ भरते है कि भाऊ दादा अण्णा सिर्फ पर्चा भरने तक आपके बीच रहेंगे आप जनता को उन्हे भारी मतों से जितवाना है। यह बयान कितने खोखले होते है इसे लोकल मतदाता अच्छी तरह से जानते है। धनबल पर आधारित राजनीत करने वाले सभी नेता उत्तर महाराष्ट्र मे विधानसभा की 48 सीटो से कितनी सीटे जीतेंगे इसका आंकड़ा बताने से खौफ खाने लगे है। जलगांव जिले की बात करे तो आज 11 में से 6 MVA जीत सकती है शेष 5 NDA के पक्ष मे जा सकती है।
ओबीसी नेता एकनाथ खडसे दौरे पर निकल चुके है खडसे ने आज जामनेर के पहुर पहुंचकर धनगर समाज के लिए आरक्षण की मांग करने वाले आंदोलको से संवाद स्थापित किया। उत्तर महाराष्ट्र में विधानसभा की 48 में से 15 सीटें ऐसी है जहां एकनाथ खडसे MVA को बड़ी आसानी से जीत दिला सकते है। शेष बची 33 सीटो पर MVA के साथ सीधे संघर्ष के बाद भाजपा प्रणीत महायुति 20 सीटे जीतने की क्षमता रखती है। उत्तर महाराष्ट्र से सरकार मे 7 कैबिनेट मंत्री है इनमें से कितने मंत्री खुद की सीट जनता के भरोसे छोड़कर NDA महायुति की सीटें बढ़ाने के दृढ़ संकल्प से प्रचार के लिए बाहर निकलेंगे यह देखना दिलचस्प होगा।
