नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ़, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

बांग्लादेश में छिड़े गृह युद्ध में वहां के अल्पसंख्यक हिंदू समाज पर हो रहे अत्याचार का सबब आगे कर के भारत के महाराष्ट्र में सनातनी हिंदू संगठनों ने बंद की अपील की है। जलगांव जिले के सभी ब्लॉक के मुख्य शहरों मे बंद का मिलजुला असर देखा गया। जामनेर में दिनभर के लिए सारा मार्केट शट डाउन रहा, बंद के लिए तमाम हिंदूवादी संगठनों, बाबा-महंत-महाराज, भगवा और बसंती रंग के वस्त्र धारण करने वाले आध्यात्मिक लोगों ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर बंद के समर्थन मे पोस्ट रखकर अपनी हिंदूवादी भूमिका को साफ़ किया।

हाल फिलहाल हिंदूवादी ताकतों की ओर से की जाने वाली बैनर बाजी में हिंदू समाज में निहित जात-पात को दरकिनार करने का दावा और आवाहन करते हुए धर्म रक्षा का अग्निहोत्र प्रज्वलित किया जाने लगा है। गांधी चौक से लेकर शिवाजी महाराज नगर, पाचोरा सड़क पर शाह एंड कंपनी पेट्रोल पंप तक सड़क के दो तरफा पड़ने वाले गिने चुने शॉपिंग मार्केट की सभी दुकानें दिनभर बंद रही।
डॉक्टरों ने सौंपा ज्ञापन:- पश्चिम बंगाल के कोलकाता में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर पर हुए बलात्कार और हत्या मामले को लेकर राजनीति गर्म है। पश्चिम बंगाल भाजपा ने ममता सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है वही महाराष्ट्र भाजपा ने बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचार के विरोध मे आंदोलन किया है। जामनेर के डॉक्टरों ने लामबंद हो कर ट्रेनी डॉक्टर पर हुए अत्याचार की घटना की निंदा की। डॉ आर के पाटील, डॉ विनय सोनवाने, डॉ चंद्रशेखर पाटील, डॉ आशीष वाघ, डॉ अमोल सेठ, डॉ राजेश सोनवाने समेत अन्य सहयोगियों ने काला फीता लगाकर अपना असंतोष व्यक्त किया।
चुनावों की रणनीति:- चुनाव आयोग के रेकॉर्ड में दाखिल पार्टी संविधान के मुताबिक खुद को लिखित में सेकुलर कहने वाली भाजपा ने कोरोना की तिसरी लहर के दौरान महाराष्ट्र में मंदिर खुले करने का धार्मिक आंदोलन चलाकर राजनीतिक एजेंडे पर अपनी धार्मिक सोच जाहिर कर दी। जामनेर को भाजपा का अभेद्य गड़ माना जाता है उसका पूरा श्रेय RSS और उससे जुड़े अलग अलग हिंदूवादी संगठनों के स्ट्रक्चर को दिया जाना चाहिए। इस सीट के अंदरूनी संघर्ष के बारे में चुनावों के दौरान विश्लेषण करना ठीक होगा। महाराष्ट्र में जल्द हि विधानसभा के आम चुनाव होने हैं जिसके मद्देनज़र भाजपा की ओर से अपनी पारंपरिक सीटों को और मज़बूती प्रदान करने के लिए बांग्लादेशी हिंदुओं के विषय पर लोकतांत्रिक तरीके से बंद मोर्चे आंदोलनों के मंचन कर ध्रुवीकरण की कवायद तेज़ कर दी गई है।