नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
कोई दस साल का बच्चा 54 साल के नेता का भाषण सुनता है जिसमें नेता दावा करता है कि मैं इस इलाक़े को बारामती जैसा आधुनिक बना दूंगा। दस साल बाद बीस साल का हो चुका तब का बच्चा अब का युवा वोटर 54 से 64 साल के हो चुके उसी नेता का भाषण चुनाव प्रचार के दौरान सुनता है जिसमें नेता वही संकल्प लेता है जो उसने दस साल पहले लिया था। नेता के भाषण की खबर लिखने वाला पत्रकार बारामती के विकास को नेता द्वारा उसके निर्वाचन क्षेत्र में किए गए विकास मॉडल का कॉपी किया मॉडल घोषित कर देता है। इस तरह भ्रम फेक नेरीटिव के सहारे युवा वोटरों की जवानी छिन जाती है और राजनीति में कैरियर पैसा बनाकर नेता अपना बुढ़ापा आराम से काटते हैं। इस सच्चाई से थोड़ा अंतर बनाकर हम जामनेर – पाचोरा सवारी गाड़ी ब्रॉडगेज की बात करेंगे। साल 2022 तत्कालीन रेल राज्य मंत्री रावसाहब दानवे (18 वीं लोकसभा का चुनाव हार गए हैं) ने भाजपा नेता गिरीश महाजन के अनुरोध पर जामनेर पधारकर पाचोरा जामनेर नैरोगेज के ब्रॉडगेज फेज 1, फेज 2 के लिए 950 करोड़ रूपए फंड की घोषणा की थी। 2023 के बजट में मोदी सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए केवल 50 करोड़ 20 लाख रुपए आवंटित किए। 2024 के बजट में फेज वन के लिए 300 करोड़ रूपए मंजूर किए। वास्तविक रूप से वित्त मंत्रालय ने उक्त योजना के लिए कितना पैसा रेलवे के खाते में ट्रांसफर किया इसका आधिकारिक ब्योरा नहीं है। पाचोरा जामनेर ट्रैक पर दो सालों से माटी परीक्षण (soil Testing) और पुरानी पटरियां कबाड़ में डालने का काम शुरू है। फेज टू में जामनेर बोदवड ट्रैक का जमीन संपादन सर्वे पूरा किया गया लेकिन फंड के नाम पर फूटी कौड़ी नहीं मिली है। बीच में ही रेलवे और जिला प्रशासन की सहायता से खेल स्टेडियम जो कभी बनेगा ही नहीं उसे रेलवे स्टेशन की जगह में घुसाकर बनाए जाने का नेरेटिव फैलाया गया। जब कोई काम करना ही नहीं है तो उस काम को करना है करना है की रट में बदलना यह काम करते रहने जैसा दिखाना है। 2022 संसदीय परिपेक्ष के आलोक में लाए गए पाचोरा जामनेर ब्रॉडगेज रेल लाइन के मुद्दे ने नेताओं की 2032 तक की राजनीत चमका दी है। बजट से भुसावल रेल मंडल को 855 करोड़ रूपए मिले हैं। डीआरएम श्रीमती इति पांडेय को मीडिया के सामने आकर प्रत्येक बिंदु पर सिलसिलेवार तरीके से जनता के साथ खुला संवाद स्थापित करना चाहिए। NDA 1.0 में रक्षा खडसे को रेलवे का राज्य मंत्रालय मिल जाता तो शायद फेज 1 शीघ्रता से पूरा होता और फेज 2 के बारे में सकारात्मक विचार किया जाता। वर्तमान स्थिति में रेल लाइन विस्तार के काम की गति को देखने पर मालूम पड़ता है कि यह काम कम से कम 15 साल में पूरा होगा और उसका खर्च एक से 4 हजार करोड़ रुपए तक जाएगा।
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